राज्य आंदोलनकारी धामी को कोर्ट के फैसले का इंतजार
खटीमा। खटीमा गोलीकांड की सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले राज्य आंदोलनकारियों में शामिल रहे रवींद्र सिंह धामी गोलीकांड के दोषियों को अब तक सजा नहीं मिलने से आहत हैं। फैसले के इंतजार में धामी कहते हैं कि उस दिन न्याय मिलेगा, जिस दिन कोर्ट से खटीमा गोलीकांड के दोषियों को सजा मिलेगी और शहीदों के सपनों के अनुरूप राज्य बनेगा।
शहादत दिवस पर खटीमा गोलीकांड के शहीदों को नमन करते हुए धामी ने कहा कि अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्वक सड़कों पर उमड़े जनसैलाब पर मुलायम सरकार के वर्दीधारी गुंडों ने जो बर्बरता दिखाई वह कभी नहीं भूला जा सकता है। धामी ने बताया कि जिस समय खटीमा गोलीकांड हुआ था उस समय वह दिल्ली में भाषा आंदोलन को बतौर राष्ट्रीय सचिव संचालित कर रहे थे।

देवभूमि उत्तराखंड के प्रसिद्ध ध्वज मंदिर, जगन्नाथ मंदिर क्षेत्र मड़मानले में जन्मे धामी को जब इस घटना के बाबत पता चला तो देवभूमि का होने के चलते उनका भी खून खौल गया। 21 अक्तूबर 1994 को मुलायम सरकार के कारिंदों से किसी तरह बचते-बचाते दिल्ली पहुंचे वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी कै.शेर सिंह दिगारी, तत्कालीन व्यापार मंडल अध्यक्ष महेश चंद्र अग्रवाल, मोहन चंद, एड.गोपाल सिंह बिष्ट, भगवान जोशी आदि के साथ बेखौफ होकर याचिका दायर करने में सक्रिय भूमिका निभाई।
मुलायम सरकार के कारिंदे उनका पीछा करते हुए दिल्ली तक पहुंचे थे, लेकिन सब चुनौतियों से डटकर मुकाबला करते हुए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी, यह मामला आज भी कोर्ट में चल रहा है। उस दिन कोर्ट में सुनवाई के बाद अधिवक्ता की ओर से जारी विज्ञप्ति को भी प्रेस को जारी कराया। कोर्ट ने मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजा। सुप्रीम कोर्ट में प्रवेश की पर्ची और प्रेस रिलीज की काॅपी दिखाते हुए धामी ने कहा कि राज्य आंदोलन के दौरान जान की कुर्बानी देने वाले शहीदों के सपनों का राज्य अब तक नहीं बना है। इसके लिए सभी आंदोलनकारी ताकतों को एक बार फिर एकजुट होना पड़ेगा।
(रवीन्द्र सिह धामी की फेजबुक वॉल से)

