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के.एन. पाण्डेय द्वारा निर्देशित कुमाउनी नाटक ‘आमक जेवर’ का मंचन

बाल कलाकारों में दिखा गजब का उत्साह, बच्चों ने बिखेरे अपनी संस्कृति के रंग

Report ring Desk

नई दिल्ली। दिल्ली के आईटीओ स्थित प्यारे लाल भवन में गुरुवार शाम को कुमाउनी नाटक ‘आमक जेवर’ का मंचन किया गया। सुप्रसिद्ध रंगकर्मी व समाजसेवी के.एन. पाण्डेय ‘खिमदा’ द्वारा निर्देशित इस नाटक में प्रीत विहार के बाल मन्दिर पब्लिक स्कूल व आसपास के अन्य स्कूलों के बच्चों ने भाग लिया। दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति व भाषा विभाग के अंदर काम करने वाली गढ़वाली, कुमाउंनी एवं जौनसारी अकादमी की ओर से इस साल पहली बार बाल रंगमंच कार्यशाल 2022 का आयोजन 3 जुलाई से 9 जुलाई तक 13 नाटकों का मंचन उत्तराखंडी कुमाउंनी, गढ़वाली व जौनसारी बोलियों में किया जा रहा है।

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इसी क्रम में गुरुवार 7 जुलाई को के.एन. पाण्डेय ‘खिमदा’ द्वारा निर्देशित कुमाउनी नाटक ‘आमक जेवर’ का मंचन किया गया। बाल कलाकारों द्वारा मंचित इस कार्यक्रम को दर्शकों ने खूब सराहा। अपनी बोली-भाषा में अपनी संस्कृति की छटा बिखेरते बाल कलाकारों को देखकर आडिटोरियम में तालियों की गडग़ड़ाहट गूंजती रही। ‘आमक जेवर’ नाट्य मंचन में पहाड़ के लोगों का रहन-सहन, रीति रिवाज, तीज-त्यौहारों के साथ ही वहां की समस्यों को भी दर्शाया गया।

नाट्य मंच मे एक ऐसे संयुक्त परिवार को दिखाया गया है जिसमें सभी लोग एक दूसरे से जुड़े रहते हैं लेकिन रोजगार के लिए परिवार के कुछ सदस्यों (भाईयों व उनके बच्चों) को काम और पढ़ाई के लिए शहर जाना पड़ता है। अब गांव में बेटे के साथ रह रही बुजुर्ग विधवा माँ के जेवर (आभूषणों) पर चारों बहुओं की नजर रहती है। पूर्व में पंचो द्वारा लिए गए निर्णय के हिसाब से ज़ेवर का हक़दार गाँव में माँ की परवरिश कर रहा बेटा रहता है। फिर भी पारिवारिक परम्परा और प्रचलित संस्कारों का निर्वाह करते हुए वह ज़ेवर का बँटवारा सभी चार भाइयों तथा उनकी दो विवाहित बहनों के बीच करने का निर्णय लेता है जो सभी को मान्य होता है और समाज में एक नया उदाहरण स्थापित करता है।

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नई पीढ़ी को अपनी संंस्कृति से जोडऩा बड़ी बात : ‘खिमदा’

इस अवसर पर ‘आमक जेवर’ के निर्देशक ‘खिमदा’ ने गढ़वाली, कुमाउंनी एवं जौनसारी अकादमी, दिल्ली सरकार व अकादमी के सचिव व उपाध्यक्ष का अभार व्यक्त किया जिन्होंने प्रवासी बच्चों को अपने उत्तराखंडी बोलियों को बोलने और सीखने के लिए प्रेरित किया तथा उन्हें इस बार बच्चों के साथ रंगमंच का कार्य करने का मौका दिया और शहरों में रह रहे बच्चों को उनकी संस्कृति, बोली-भाषा, रीति रिवाज से जोडऩा और उससे रूबरू कराने का अवसर मिला। नई पीढ़ी को अपनी संंस्कृति से जोडऩा बड़ी बात थी। शुरुआत में बच्चों को सिखाने में कुछ कठिनाई जरूर आई लेकिन बच्चों ने काफी रुचि दिखाई और सब बच्चों ने शानदार प्रदर्शन किया।

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मालूम हो कि दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली में रह रहे उत्तराखण्ड के लोगों को सीधे अपनी संस्कृति, भाषा सीखने और जोडऩे के उद्देश्य से वर्ष 2019 में गढ़वाली, कुमाउंनी व जौनसारी अकादमी की स्थापना की गई थी। तब से यह अकादमी उत्तराखण्ड के लोगों के लिए काम कर रही है।

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