By Sanjay Bisht, Delhi
उत्तराखंड की चार धाम यात्रा (Char Dham Yatra )के लिए बन रही ऑल वेदर रोड (All Weather Road )के निर्माण को एक्सपर्ट ने हिमालयन ब्लंडर (Himalayan blunders)कहा है। ये दो एक्सपर्ट हेमंत ध्यानी और नवीन जुयाल हैं, ये दोनों उस 5 मेंबर वाली कमेटी के सदस्य हैं, जिसे सुप्रीम कोर्ट के डायरेक्शन के बाद बनाया गया। पहाड़ों में पिछले 20 सालों में हेवी कंस्ट्रक्शन हुआ है, सड़कें चौड़ी करने के लिए पहाड़ों को कुतरा गया है। और इसका नतीजा है भारी लैंडस्लाइड। इसकी कीमत स्थानीय लोगों को जान देकर चुकानी पड़ती है।
अब हालत ये हो गई है की लोग भगवान से प्रार्थना करते हैं की बरसात का मौसम जल्दी बीत जाए। बरसात अब हर साल पहड़ों पर तबाही ला रही है, हर बरसात में अब दसियों लोग अपनी जान गंवा रहे हैं लेकिन कुछ साल पहले तक आपदाओं की तादाद कम हुआ करती थी। लैंडस्लाइड यदा कदा ही हुआ करते थे। ये बात हर किसी को समझनी होगी की कि जिस हिमालयन रेंज में उत्तराखंड समेत जितने भी पहाड़ी राज्य बसे हुए हैं, वह रेंज अब भी ग्रो कर रही है। ये रेंज अब भी विकास के दौर में हैं। इन पहाड़ों के बनने की प्रक्रिया अब भी चल रही है ।
ऐसे में कोई बच्चा भी ये अनुमान लगा सकता है कि पहाड़ पर भारी कंस्ट्रक्शन न सिर्फ लोकल बल्कि बाहरी लोगों के लिए भी जानलेवा हो सकता है। लेकिन इसके बाद भी सारे अलर्ट की अनदेखी करके कई तरह के construction करवाए जा रहे हैं। अब जिस हिमालयन ब्लंडर की बात एक्सपर्ट कर रहे हैं, भगवान न करे कभी ऐसा हो। लेकिन सरकारों को ये समझना होगा कि संवेदनशील इलाकों में खुली सड़कें बना देने का मतलब विकास नहीं हो सकता। प्रकृति की अनदेखी करके पहाड़ों का सीना चीरना नादानी है, और वह भी तब जब इस प्राकृतिक दोहन के साइड इफेक्ट हम चंद हफ्तों या महीनों के अंदर ही देख लेते हैं।
पहाडों का विकास सिर्फ पहाड़ों को खोद कर ही नहीं हो सकती बल्कि प्रकृतिपरक विकास से भी लोगों को फायदा पहुंचाया जा सकता है। पहाड़ों को पहाड़ ही रहने दिया जाएगा तो उनकी खूबसूरती भी सदा के लिए बरकरार रहेगी लेकिन पहाड़ों को इंसानी लालच का पैमाना बनाया जाएगा तो आने वाले समय में नतीजे बेहद भीषण होंगे।
लेखक इंडिया टीवी में वरिष्ठ पत्रकार हैं।