By Aashish Pandey
हल्द्वानी। बर्थ- डे ( birthday) हमारी जिंदगी में इस कदर घुलमिल गया है कि इसके बिना काम नहीं चलता। यानी इसमें खुशियां बसी हैं, इसमें प्यार और दुलार सब कुछ है। यह जीवन के साथ शुरू होता और मृत्यु के बाद भी चलता रहता है। कभी आपने सोचा बर्थ-डे ने हमारे जीवन यह जगह कैसे बनायी, इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई।
चलिए आज बात करते हैं बर्थ -डे की। सबसे पहले बर्थ-डे जर्मनी में मनाया गया था। वहां लोग बच्चों को बुरी शक्तियों (आत्माओं) से बचाने के लिए एक साथ एक जगह पर एकत्रित होकर तेज आवाज में शोर मचाते थे । फिर यह प्रथा अलग अलग देशों में फैल गई, यूनान में इसे केक काटकर मनाया जाता था।
पहली बार यूनान में केक काटकर मना बर्थ डे
कहा जाता है कि उस समय केक केवल अमीर लोग खरीदते थे। जब पहली बार यूनान में केक की शुरुआत हुई थी तब यह केक चपटे आकार का हुआ करता था। और इसे बनाने के लिए केवल आटे और चीनी का प्रयोग किया जाता था। केक में क्रीम का प्रयोग 14 वीं शताब्दी से हुआ है। साथ ही केक भी अलग- अलग डिजायनों में बनने लगे और लोगों के पसंद के भी।
100 में से 98 लोगों के बर्थडे में बजता है यह गीत
हैप्पी बर्थ -डे टू यू जिसका शाब्दिक अर्थ है आपको जन्म दिन मुबारक हो। जन्मदिन पर यह गीत घर घर में गाया जाता है। 1998 की गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड के अनुसार ”फाॅर ही ज ए जाॅली गुड फेलो” ”ओल्ड लेग सिन” इन गीतों के बाद ”हैप्पी बर्थ डे टू यू” गीत सबसे अधिक गाया जाने अंग्रेजी भाषा का गीत है। इस गीत का कम से कम 18 भाषाओं मे अनुवाद हो चुका है।
इस धुन का अविष्कार दो बहनों ने किया था। गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड के अनुसार यह गाना हर साल 100 में से 98 लोगों के बर्थडे में बजता है ।
सीधे भगवान के पास जाता है धुआं
केक के ऊपर लगने वाली मोमबत्तियों का भी अपना एक रहस्य है। अक्सर हम लोग केक काटने के बाद मोमबत्ती बुझाते हैं। यह माना जाता था कि मोमबत्ती बुझाते समय जो धुआं निकलता है वो सीधे भगवान के पास जाता है। इसलिए लोग मोमबत्ती बुझाते समय अपनी मन की विश मांगते हैं।