देहरादून। यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल (यूसीसी)को उत्तराखण्ड विधानसभा में पेश कर दिया गया है। इसके बाद विपक्षी विधायकों ने नारेबाजी की और सदन को दो बजे तक स्थगित कर दिया गया। इससे पहले इस बिल को रविवार को कैबिनेट में पास किया गया था। राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले ही इसको लेकर सरकार का रुख स्पष्ट कर चुके थे। उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य बन जाएगा जहां समान नागरिक संहिता लागू किया जा रहा है।
उत्तराखंड में पेश होने वाले यूसीसी बिल में 400 धाराओं को शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य पारंपरिक रीति-रिवाजों से होने वाली विसंगतियों को खत्म करना है। यही नहीं समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी के लागू होने के बाद बहु विवाह पर भी रोक लगेगी। इसके अलावा लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 21 वर्ष भी तय की जा सकती है। लिव-इन में रहने वाले कपल के लिए पुलिस रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। ताकि आगे चलकर किसी तरह की कोई दिक्ïकत ना हो।
यूसीसी में किए गए प्रावधान
– हलाला, इद्दत, तीन तलाक सजा योग्य अपराध।
– धर्मों में शादी के लिए लड़कियों की न्यूनतम उम्र 18 और लडक़ों के लिए 21 होनी चाहिए। (देश में शादी के लिए निर्धारित उम्र 18 और 21 ही है। लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ यौवन प्राप्त कर चुकी किसी भी लडक़ी की शादी के योग्य मानता है।)
– एक से अधिक विवाह पर रोक की भी सिफारिश। अधिसूचित अनुसूचित जनजातियों को यूसीसी के दायरे से छूट का सुझाव।
– विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा।
-पति-पत्ïनी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे।
– लिव इन रिलेशनशिप के मामले में रजिस्ट्रेशन, सेल्फ डिक्लरेशन को अनिवार्य किया जाए।
– उत्तराधिकार में लड़कियों को लडक़ों के बराबर का हिस्सा मिलेगा।
– नौकरीशुदा बेटे की मृत्यु पर पत्ïनी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी होगी। अगर पत्नी पुनर्विवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले मुआवजे में माता-पिता का भी हिस्सा होगा।
-पत्ïनी की मृत्यु होने पर उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण का दायित्व पति पर होगा।
-सभी को मिलेगा गोद लेने का अधिकार। गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी। बच्चे के अनाथ होने की स्थिति में गार्जियनशिप की प्रक्रिया आसान होगी।