Report ring Desk
अल्मोड़ा। प्रसव पीड़ा से कराह रही गर्भवती को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में इलाज नहीं मिल पाया। गर्भवती की हालत यह थी कि नवजात का पैर बाहर निकलकर नीला पड़ चुका था। लेकिन डॉक्टरों ने यह कहकर प्रसव कराने से मना कर दिया कि बच्चे की धड़कन बंद है। रानीखेत ले जाते समय एंबुलेंस में फार्मासिस्ट की मदद से प्रसव हो गया और जच्चा बच्चा दोनों को बचा लिया गया।
मिली जानकारी के अनुसार गैरसैंण ब्लॉक के ग्राम पंचायत कोलानी के तोक खोलीधार निवासी कुसुम देवी (23) को रविवार के दिन करीब डेढ़ किमी पैदल चलने के बाद सड़क तक पहुंची और यहां से परिजन उसे टैक्सी से करीब 18 किमी दूर सीएचसी चौखुटिया लाए। परिजनों के अनुसार कुसुम की प्रसव पीड़ा इतनी बढ़ गई थी कि बच्चे का पैर बाहर निकल गया था लेकिन सीएचसी में तैनात डॉक्टरों ने प्रसव कराने से मना कर दिया। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों ने नवजात को मृत घोषित कर दिया और गर्भवती को रानीखेत रेफर कर दिया। जिसके बाद गंभीर हालत में गर्भवती का 108 एंबुलेंस में एंबुलेंस की फार्मासिस्ट सरिता खंपा ने सुरक्षित प्रसव करवा दिया। कुसुम की सास तारा देवी और रिश्तेदार लीला देवी ने बताया कि उन्होंने डॉक्टरों से काफी विनती की मगर एक न सुनी गई। यदि फार्मासिस्ट सरिता खंपा नहीं होती तो जच्चा-बच्चा दोनों का बचना मुश्किल था। खंपा उनके लिए भगवान साबित हुई।