Report ring Desk
नई दिल्ली। वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग के अध्यक्ष प्रो गिरीश नाथ झा के निर्देशन में भौतिक विज्ञान से जुड़े तकनीकी शब्दावली के शब्द निर्माण को लेकर पॉच दिवसीय कार्यशाला का किया गया। कार्यशाला में प्रो झा ने कहा कि सीएसटीटी की संस्कृत केन्द्रित शब्दावली निर्माण स्वातंत्र्योत्तर भारत की भाषिक उन्नयन का एक जीवन्त प्रतीक माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के ऐतिहासिक निर्णय के आलोक में सीएसटीटी संस्कृत को केन्द्र में रख भारतीय भाषाओं से जुड़े तकनीकी शब्दावली का निर्माण करने में सतत अग्रसर है। इसी क्रम में भौतिक विज्ञान तथा संस्कृत की शब्दावली निर्माण कार्यशाला का भी आयोजन किया गया है। भारतीय भाषाओं के तकनीकी शब्दावली निर्माण को लेकर आयोग द्वारा देश के अन्य राज्यों में भी निरन्तर कार्यशालाएं चल रहीं हैं ताकि लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़ा जा सके।
प्रो झा ने कहा कि इन भारतीय भाषाओं के शब्दावली का निर्माण करने में संस्कृत को केन्द्र में रख कर निर्माण कार्य पर इसलिए भी बल दिया जा रहा है कि भारत की अधिसंख्य भाषाएं संस्कृत से प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप में अन्त: तरंगायित हैं। यहां की अनेक क्षेत्रीय भाषाओं की लेखन में उपजीव्यता में संस्कृत की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। संस्कृत के माध्यम से हम भारतीय भाषाओं को अधिक नजदीक से समझ सकते हैं। भारत की अन्य भारतीय भाषाओं की तरह ही भौतिक विज्ञान से जुड़े संस्कृत की तकनीकी शब्दावली का निर्माण होने से संस्कृत में नीहित भारतीय ज्ञान विज्ञान को और अच्छे ढंग से अन्वेषित किया जा सकता है ।
कार्यशाला में डा बलदेवानन्द सागर, गुरुग्राम, संस्कृत प्रवाचक औल इण्डिया रेडियो दिल्ली, डा प्रद्युम्न प्रसाद सिंह, अरविन्द महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, डा सुभाष चन्द्र, डा अवधेश प्रताप सिंह, डा अभिनीत कुमार श्रीवास्तव, बिपिन कुमार एचएमआरआईटीए दिल्ली तथा डा अजय कुमार मिश्रा केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयए दिल्ली ने इस कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों के रुप में भाग लिया।