रुद्रप्रयाग। अपनी गायकी से सुप्रसिद्ध रामाबोराणी का वाचन करने वाली और देवी-देवताओं का जागर गाकर अपनी पहचान बना चुकी लोक गायिका सीमा गुसाई गायकी के क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुकी हंै। बचपन से ही अपनी संस्कृति के प्रति लगाव रखने वाली सीमा गुसाई प्रारंभ में रामलीलाओं, जागरण, भजन कीर्तन मंडली व अन्य अवसरों पर अपनी गायकी का प्रदर्शन करती आई हैं लेकिन वर्ष 2015 से वे बड़े मंचों को साझा करने लगी हैं। उम्र का 50वां पड़ाव पार कर चुकी सीमा गुसाई आधुनिक लोक कलाकारों को भी टक्ïकर दे रही हैं। मंचन के साथ ही वे अब सोशल मीडिया पर भी अपना जलवा बिखेर रही हैं। यूट्यूब में भी सीमा गुसाई के जागर समेत कई गीतों को सुना और देखा जा सकता है।
उत्तराखण्ड के रुद्रप्रयाग जिले के छिनका गांव में एक साधारण गरीब परिवार में जन्म लेने वाली सीमा गुसाई को बचपन से ही गीत गाने और जागर विद्या सीखने का शौक रहा। कुछ साल पहले तक सीमा गुसाई रामलीला समेत छोटे छोटे मंचों पर अपनी लोक गायकी से लोगों का मन जीतती रही। लोक गायिका सीमा गुसाई ने वर्ष 2015 से अपनी गायकी में थोड़ा बदलाव करके बड़े मंचों को साझा करने के साथ ही सोशल साइड पर भी अपनी प्रस्तुति देनी शुरू की। देखते ही देखते सीमा की लोकप्रियता बढ़ती चली गई। मां नंदा देवी जागर एवं अन्य देवी देवताओं के जागर गाने के हुनर के साथ ही सुप्रसिद्ध रामाबोराणी का मंचन लोगों के दिल को छू जाता है।
समाजसेवी प्रताप सिंह नेगी को बातचीत में सीमा गुसाई बताती हैं कि उनको बचपन से ही गायकी का शौक था। लेकिन तब आज की तरह न आगे बढऩे के अवसर थे और न ही कोई सुविधा थी। लेकिन उनके मन में यह बात बचपन से थी कि उनको भी एक दिन गायकी में अपनी पहचान बनानी है। बेहद गरीब परिवार होने के कारण तब घर में रेडियो या टेपरिकार्डर तक नहीं होता था। ऐेसे में आकाशवाणी से रेडियो में आने वाले गीतों का इंतजार उन्हें रहता था। प्रारंभ में रेडियो और टेपरिकार्डर के गीतों को सुनकर और फिर उनको गुनगुनाकर ही उन्होंने गीत गाने का अभ्यास किया। यही नहीं टेपरिकार्डर में रामाबोराणी और जागरों को कई कई बार सुनने के बाद उन्होंने खुद जागर गीत गाने का अभ्यास किया। इसी मेहनत का असर है कि आज सीमा गुसाई बड़े मंचों को साझा करने के साथ ही सोशल साइड््स पर भी अपनी पहचान बना रही हैं।