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डॉ. भीमराव अम्बेडकर राष्ट्र निर्माणकर्ताओं में से एक अति महत्त्वपूर्ण स्तम्भ थे- प्रो. वरखेड़ी

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नई दिल्ली। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय दिल्ली के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी ने भारत के महान सपूत भारत रत्ïन डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयन्ती पर सीएसयू परिवार तथा समस्त देशवासियों को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि वे राष्ट्र निर्माणकर्ताओं में से एक अति महत्त्वपूर्ण स्तम्भ थे। उन्होंने संविधान निर्माण तथा सामाजिक समरसता तथा न्याय, स्त्री जागृति, शिक्षा और समाज के अन्त्योदय के विकास के लिए जो अमूल्य योगदान दिया।

कुलपति प्रो वरखेड़ी ने कहा कि उनके नेतृत्व में ही देश का राष्ट्रधर्म-‘भारतीय संविधान’ का समन्वित तथा ठोस स्तम्भ की नींव डाली गयी। इससे स्वतंत्रता, समानता तथा अन्त्योदय की भावना का मार्ग प्रशस्त हो सका। उन्होंने कहा कि डा अम्बेडकर अपने समकालीन परिस्थितियों का सामना करते हुए एक लब्धप्रतिष्ठ शिक्षाविद्, समाज सुधारक तथा राजनेता के रूप में अपने आप को प्रतिष्ठित किया।

डा बाबा साहब ने न केवल सामाजिक अपितु भाषिक समरसता पर बल दिया और वे एक बहुभाषाविद् के रुप में सम्मानित रहे। यही कारण है कि संस्कृत को वे राष्ट्र भाषा के रुप में स्थापित करना चाहते थे। संभवत: इसलिए भी कि लगभग सभी भारतीय भाषाओं पर संस्कृत की प्रत्यक्ष या परोक्ष छाया भाषा संरचना या शब्दावली के रुप में देखी जा सकती है। आज जो भाषा के नाम पर विवाद खड़ा किया जा रहा है उसका भी समाधान इससे खोजा जा सकता था।

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सीएसयू के कुलसचिव प्रो रणजित कुमार वर्मन ने कहा कि इस प्रकार की जयन्ती मनाने से जीवन में सदा प्रेरणा मिलती है। एकेडमिक डीन प्रो बनमाली बिश्बाल ने कहा कि देश की युवा पीढ़ी को बाबा साहेब की जयन्ती और उनके जीवन से सीख लेनी चाहिए। इस अवसर पर डा मधुकेश्वर भट्ट निदेशक प्रकाशन एवं कार्यक्रम ने कहा कि यह समय आ गया है कि विविध शैक्षणिक कार्यक्रमों के माध्यमों से बाबा साहेब के चिन्तनों को छात्र छात्राओं तक अधिकाधिक रुप में प्रकाश में लाया जा सके।

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