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कोरोना वायरस महामारी शुरू हुए एक साल से भी अधिक वक्त बीत चुका है। लेकिन अभी भी वायरस पर काबू नहीं पाया जा सका है। कुछ देशों में वैक्सीन आने की संभावना के बावजूद महामारी के प्रसार का खतरा कम नहीं हुआ है। इस बीच ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका आदि देशों में वायरस का नया रूप सामने आया है। जो कि आम कोविड-19 वायरस से ज्यादा तेज़ी से फैल रहा है। हालांकि चीन में फिर से संक्रमण के कुछ मामले दर्ज किए गए हैं। लेकिन स्थिति नियंत्रण में है। हम साल 2021 में प्रवेश करने जा रहे हैं, लेकिन वायरस को लेकर शंका के बादल छंटने का नाम नहीं ले रहे हैं।
वहीं वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कई देशों में लॉकडाउन जारी है, इसका असर इकॉनमी पर पड़ रहा है। वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखने की आवश्यकता है। साथ ही वायरस से निपटने के लिए अहम उपाय भी किए जा रहे हैं।

गौरतलब है कि पिछले कई महीनों से वायरस के खात्मे के लिए चीन, ब्रिटेन व भारत सहित कई देशों के वैज्ञानिक मेहनत से जुटे रहे। उनकी मेहनत के चलते अब वैक्सीन बाज़ार में आनी शुरू हो गयी है। विश्व का ध्यान इस बात पर लगा है कि जितनी जल्दी संभव हो, लोगों को वायरस से छुटकारा मिले। कहना होगा कि वर्तमान स्थिति में वैश्विक स्तर पर सहयोग किए बिना सदी के सबसे बड़े स्वास्थ्य संकट से नहीं निपटा जा सकता है।
चीन ने इस महामारी से लड़ने में मजबूत इच्छा शक्ति दिखाई है। अब वह जरूरतमंद देशों को मदद करने में लगा हुआ है। अफ्रीका हो, एशिया या फिर यूरोप, चीन इस वायरस के मुकाबले में योगदान दे रहा है। इसके साथ ही चीनी कंपनियों द्वारा तैयार वैक्सीन कई परीक्षणों में खरी उतर चुकी है। यहां तक कि यूक्रेन ने चीनी साइनोवाक बायोटेक कंपनी की वैक्सीन खरीदने का ऐलान किया है। वहीं अन्य देश भी इस बाबत रुचि दिखा रहे हैं।
हालांकि चीन कई बार कह चुका है कि वह वैक्सीन को सबसे पहले उन देशों के लोगों तक पहुंचाएगा, जिन्हें इसकी सबसे अधिक जरूरत है। लेकिन कुछ पश्चिमी देशों में वैक्सीन की जमाखोरी होने की ख़बरें सामने आयी हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि मुसीबत की इस घड़ी में सभी देश मिल-जुलकर सहयोग करेंगे। ताकि जल्द से जल्द कोरोना महामारी पर जीत हासिल की जा सके।
साभार-चाइना मीडिया ग्रुप

