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उत्तराखंड में पलायन बड़ी समस्या है। युवा गांवों को छोड़कर शहरों को चले जाते हैं। पलायन से गांव खाली हो चुके हैं। इसके पीछे रोजगार एक प्रमुख वजह रही है। पौड़ी गढ़वाल के एक दंपति ने बगवानी को अपना कर मिशाल पेश की है। उनके पास क्षेत्र के किसान भी बागवानी के गुर सीखने के लिए आते हैं।
पौड़ी गढ़वाल के मटकुण्ड गांव निवासी धनी कांति चंद और उनके पति विजय पाल चंद ने 10 साल पहले बगीचा लगाने का मन बनाया । वर्ष 2012-13 में सेब के बगीचे की शुरुआत की। करीब 100 नाली से ज्यादा जमीन पर सेब का बगीचा लगाया। इसके अलावा 50 नाली भूमि का बगीचा लगाया। कीवी और सेब के बगीचे फल देने लगे हैं। वर्तमान में बागवानी ही उनके परिवार की सबसे बड़ी आय का स्रोत है।
पति-पत्नी मिलकर बगीचों की देखभाल करते हैं। उनकी मेहनत का नतीजा है कि दूसरे गांवों में रहने वाले लोग भी उनसे बागवानी के गुर सीखने आते हैं। विजयपाल चंद और उनकी पत्नी धनी कांति चंद ने अपने जुनून से बंजर खेतों में भी सोना उगाने जैसा काम किया है।