Report ring Desk
नई दिल्ली। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी ने आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में ध्वज फहराने के बाद विश्वविद्यालय के सारस्वत सभागार में छात्रों, संकाय सदस्यों, अधिकारियों तथा कर्मचारियों को अध्यक्ष के रुप में संबोधित करते हुए कहा कि देश के पुनर्निर्माण में संस्कृत छात्र-छात्राओं तथा अनुरागियों को भी बढ़ चढ़ कर दूत के रुप में आगे आना होगा। इसका बहुत बड़ा कारण यह भी है कि इस विश्वविद्यालय को भी राष्ट्र के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। कुलपति ने कहा कि इस देश में किसी तरह का कोई भेद भाव नहीं किया जाता। पिछले महीने राष्ट्रपति का निर्वाचन इसका जीवन्त प्रमाण है।

देश के पुनर्निर्माण तथा शहीदों और वीरांगनाओं के सपने जिसके लिए उन्होंने अपना जीवन देश के लिए न्योछावर कर दिया था उनके सपनों को साकार करने के लिए संस्कृत के छात्र-छात्राओं की भी आगे आकर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। प्राध्यापकों को सिर्फ़ शब्दाचार नहीं करना होगा, बल्कि अपने जीवन में उसको ढाल कर छात्र-छात्राओं का मार्गदर्शन करना होगा क्योंकि इस केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय का लक्ष्य शास्त्र रक्षा के साथ संस्कृत भाषा का भी प्रचार . प्रसार करना है। शास्त्र तथा शस्त्र रक्षा से ही राष्ट्र सुरक्षित होता है।उनका यह भी मानना था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2022 के अनुसार यह नया अवसर आ गया कि शिक्षक-छात्र मिल कर शास्त्र के नये प्रतिमानों की खोज कर के संस्कृत के लोक उपयोग को विश्व के सामने लायें । संस्कृत भाषा भारत के अन्य भाषाओं के साथ राष्ट्र की एकता को पूरा प्रश्रय दें और संस्कृत को भारत की शिक्षा की मुख्य धारा से जोडऩे को हर संभव प्रयास किया जाय ।







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