By Suresh Agrawal, kesinga, Odisa: कृषि सम्बन्धी समस्याओं पर आधारित अपनी सात सूत्रीय मांगों को लेकर केसिंगा प्रखण्ड की कश्रुपड़ा तथा कंतेसिर ग्राम पंचायतों के तमाम किसानों ने आज केसिंगा में एक बड़ी रैली निकाली। जबकि बाद में मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन ज़िलाधीश कालाहाण्डी एवं स्थानीय विकासखंड अधिकारी के मार्फ़त उन्हें प्रेषित किया गया। गौतरतलब है कि करीब छह दशक पहले कश्रुपड़ा पंचायत अन्तर्गत ग्राम सुकुनाभटा के समीप तेलनदी में तटबंध टूट जाने के कारण दोनों ग्राम पंचायतों की हज़ारों एकड़ कृषिभूमि बालू-रेत की चपेट में आ गई थी, तभी से वहां खेती करना मुमकिन नहीं है।
उक्त क्षेत्र में नदी पर तटबंध बनाये जाने की मांग भी शुरू ही से की जाती रही है और इसके लिये सरकार द्वारा किसानों से आवश्यक भू-अधिग्रहण भी किया जा चुका है। परन्तु वहां तटबंध आज तक नहीं बन पाया है।बालू चढ़ने के बाद शेष बची ज़मीन पर खेतीबाड़ी करने हेतु भी यहां एक वृहद सिंचाई परियोजना की ज़रूरत पर विगत एक दशक से मांग उठती रही है। लेकिन सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंगती। क्षेत्र में स्थित लघु-सिंचाई परियोजनाएं भी नाम-मात्र की हैं, जिनके द्वारा बहुत ही कम कृषिभूमि सिंचित हो पाती है, परन्तु सरकार किसानों से पूरा जल-कर वसूलती है। इस वर्ष कम वर्षा होने के कारण किसी भी लघु-सिंचाई परियोजना में सिंचाई योग्य पानी नहीं है, फिर भी उनके दायरे में आने वाले किसानों से जल-कर अदा किया जा रहा है, जिससे भी किसानों में बेहद नाराज़गी है।
प्रेषित ज्ञापन में कश्रुपड़ा तथा कंतेसिर पंचायत क्षेत्र को पूरी तरह सूखाग्रस्त घोषित किये जाने, दोनों पंचायतों के लिये एक मेगा सिंचाई प्रकल्प के निर्माण की मांग की गयी है। साथ ही बाढ़ के स्थायी प्रतिकार हेतु तेलनदी पर तटबंध निर्माण, चालू वर्ष वर्षाभाव के कारण जहां खेती नहीं हो सकी, उन किसानों को आगामी रबी ऋतु हेतु मुफ़्त बीज एवं उर्वरक उपलब्ध कराने की भी मांग है।
वहीं प्रतिनिधियों से बातचीत में कृषक संगठन ग्राम पंचायत कश्रुपड़ा तथा कंतेसिर अध्यक्ष केशव भोई एवं सचिव परशुराम पाढ़ी ने कहा कि सरकार द्वारा लम्बे समय से की जा रही किसानों की अपेक्षा को और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। और वे अपने हक़ की लड़ाई तब तक लड़ते रहेंगे, जब तक कि उन्हें न्याय नहीं मिल जाता।


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