Uttarakhand DIPR
ban panchyat

वन पंचायत प्रणाली की मजबूती के लिए वन पंचायत अधिनियम बनाएं

खबर शेयर करें

Report ring desk

अल्मोड़ा । उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने प्रदेश सरकार से वन पंचायत प्रणाली को सुदृढ़ करने हेतु वन पंचायत अधिनियम बनाने की मांग की है। उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पी. सी. तिवारी ने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में वन विभाग द्वारा जल्दबाजी में वन पंचायत नियमावली में किए जा रहे बदलावों से पंचायती वन व्यवस्था एवं जनता के हक़ प्रभावित होंगे।

उपपा ने यहां ज़ारी बयान में कहा कि वन विभाग द्वारा वन पंचायत नियमावली से राजस्व विभाग की भूमिका को समाप्त करने का पार्टी समर्थन नहीं करती है। पार्टी चाहती है कि वन पंचायतों की प्रारंभिक स्वायत्तता पुनर्स्थापित की जाए और वन पंचायतों को ग्राम सभा, क्षेत्र पंचायत एवं ज़िला पंचायतों में राजनीतिक प्रतिनिधित्व दिया जाए ताकि वे यहां के मूल निवासियों अथवा प्रवासियों के लिए रोज़गार और विकास के नए द्वार खोल सकें।

उपपा ने कहा कि पंचायती वन प्रणाली को सुदृढ़ करने हेतु समय समय पर बनी सुल्तान सिंह भंडारी कमेटी (1983), जे. सी. पंत (1997) की रिपोर्ट वन पंचायत नियमावली (2001) एवम् प्रशासनिक सुधार कमेटी (2006-7) द्वारा दिए गए सुझावों की समीक्षा ज़रूरी है।

उपपा ने पंचायती वनों के चुनाव नियमित रूप से राज्य चुनाव आयोग से कराने की मांग की है। पार्टी ने कहा कि मैदानों, भूमिकानूनों से जो भूमि ग्राम समाज को दी गई वही पर्वतीय क्षेत्रों में बैनाप (राज्य सरकार) घोषित करने से गावों के विकास के लिए ज़मीन उपलब्ध नहीं हो रही है जिससे यहां के युवाओं को पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।इस स्थिति में बदलाव के लिए गंभीर प्रयास करने की आवश्यकता है।

उपपा ने प्रदेश सरकार से वन पंचायत नियमावली में जल्दबाजी में बदलाव करने से बचने और वनाधिकार कानून 2006 के परिप्रेक्ष्य में पूरे मामले को गंभीरता से लेने की अपील की है।

उपपा ने कहा है कि वह सभी समान सोच रखने वाले संगठनों के साथ मिलकर पंचायती वनों की स्वायत्तता के लिए कार्य करेगी।

gadhi 2
Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top