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बदमाशों द्वारा झारसुगुड़ा से अपहृत निर्वाही यंत्री को केसिंगा के समीप उतकेला में छोड़ा 

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By Suresh Agrawal, Kesinga, Odisha

बीते मंगलवार देर रात झारसुगुड़ा स्थित ग्राम्य उन्नयन विभाग के कार्यकारी अभियन्ता मनोरंजन पटनायक (58) को अपहृत कर अपहर्ताओं द्वारा उन्हें बुधवार प्रातः केसिंगा के समीप राष्ट्रीय राजमार्ग 26 पर एक सूनसान जगह पर छोड़े जाने की सनसनीखेज घटना सामने आयी है। घटना की जानकारी तब मिली, जब छोड़े जाने के बाद अपहृत अधिकारी ने समीपस्थ केसिंगा आदर्श थाने पहुंच पुलिस को अपनी पूरी व्यथा-कथा सुनाई। एकबारगी तो पुलिस को भी उनकी बात पर विश्वास नहीं हुआ, परन्तु उनके कहने पर जब स्थानीय पुलिस द्वारा झारसुगुड़ा पुलिस से सम्पर्क साधा गया तो सच्चाई सामने आयी।

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पटनायक द्वारा पुलिस को बतलाया गया कि कैसे मंगलवार रात कोई एक बजे सात-आठ बदमाशों ने उनके झारसुगुड़ा स्थित सरकारी आवास का दरवाज़ा खटखटाया एवं दरवाज़ा खोलने पर वे बन्दूक की नोक पर उनसे मोटी रक़म की मांग करने लगे। घर में अधिक नकदी न होने की बात पर बदमाशों ने उपलब्ध पांच हज़ार रुपये एवं एक सोने की चेन उनसे ले ली एवं किसी ठेकेदार से कह कर रक़म का ज़ल्द इंतज़ाम करने का दबाव डाला। बाद में ठेकेदार के पहुंचने में विलम्ब होते देख उन्होंने पटनायक से तीन लाख रुपये का हस्ताक्षरित चेक भी ले लिया एवं उन्हें एक सफ़ेद रंग की बोलेरो गाड़ी में डाल कर झारसुगुड़ा से सम्बलपुर की ओर ले गये एवं अंततः वहां से बरगढ़, बरपाली, बलांगीर, केसिंगा होते हुये राष्ट्रीय राजमार्ग 26 पर ग्राम उतकेला के समीप छोड़ कर भवानीपटना की ओर भाग गये। उन्होंने कार्यकारी अभियंता से घटना की जानकारी पुलिस को न देने की भी धमकी दी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार सभी अपहर्ता हिन्दी बोल रहे थे, जिससे उनका सम्बन्ध झारखण्ड से होने का अनुमान लगाया जा रहा है। गाड़ी की पहचान न हो, इसलिये उन्होंने नम्बर प्लेट पर तौलिया लपेट दिया था।

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ज्ञातव्य है कि एक सप्ताह पहले ही झारसुगुड़ा में विभागीय कनिष्ठ अभियंता का शव संदेहास्पद स्थिति में बरामद हुआ था, अतः पुलिस इन दोनों घटनाओं के तारों को जोड़ कर देख रही है। बहरहाल, केसिंगा पुलिस मण्डल अधिकारी गुप्तेश्वर भोई एवं आईआईसी अशोक कुमार महापात्र घटना की प्रारंभिक जांच में जुट गये हैं एवं यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि बदमाशों द्वारा अधिकारी का झारसुगुड़ा से अपहरण कर उन्हें कोई अढ़ाई सौ किलोमीटर दूर कालाहाण्डी ज़िले की सीमा में लाकर ही क्यों छोड़ा गया।

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