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चालू खरीफ़ ऋतु में कालाहाण्डी के लिये  21.4 लाख क्विंटल चावल संग्रहण का लक्ष्य निर्धारित

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By Suresh Agrawal, Kesinga, Odisha

जहां एक ओर कालाहाण्डी ज़िले में इस बार लगातार दूसरे साल धान की बम्पर फसल हुई है, वहीं शासन द्वारा चालू खरीफ़ ऋतु हेतु कुल 21.4 लाख क्विंटल चावल संग्रहण हेतु धान ख़रीदी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जो कि कृषि विभाग द्वारा धान उत्पादन के ज़ारी आंकड़ों से आधा है।

आशंका है कि इससे धान ख़रीदी में समस्या पेश आयेगी, क्योंकि सामान्यतः नई फ़सल आने पर भण्डारण-गृहों में स्थान की पर्याप्त व्यवस्था की जाती है, परन्तु क्योंकि इस बार गोदाम पहले से भरे पड़े हैं, अतः इस बार स्थानाभाव एक समस्या बन सकती है।

ज्ञातव्य है कि चालू खरीफ़ ऋतु में चावल संग्रहण के निर्धारित लक्ष्य 21.4 लाख क्विंटल हेतु कोई 31 लाख क्विंटल धान ख़रीदने की आवश्यकता होगी, जबकि धान की उपज कोई 1 करोड़ क्विंटल होने का अनुमान है।

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प्राप्त जानकारी के अनुसार धान बिक्री हेतु अब तक कुल 84 हज़ार 55 किसानों को पंजीबद्घ किया जा चुका है, परन्तु धान की बम्पर उपज की तुलना में सरकार द्वारा धान ख़रीदी का निर्धारित लक्ष्य कहीं कम होने के कारण किसान चिंतित हैं कि उन्हें अपनी उपज बेचने में कहीं पिछले साल की भांति परेशानी न झेलनी पड़े। इस पर विभागीय अधिकारी निर्धारित लक्ष्य को प्रथम चरण का लक्ष्य कहते हुये उनकी चिंता-निवारण का प्रयास करते हैं।

उल्लेखनीय है कि धान ख़रीदी हेतु 166 पीपीसी एवं 35 एसएचजी सहित इस बार कुल 201 ख़रीदी केन्द्रों की स्थापना की गयी है। साधारण धान का समर्थन मूल्य 1868 रुपये तथा ग्रेड-ए धान का मूल्य 1888 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।

गत वर्ष कुल 44 लाख क्विंटल धान की ख़रीदी की गयी थी, जिसमें काफी अव्यवस्था का आलम था। किसी किसान का टोकन उड़ गया था, तो कोई मंडी की अत्यधिक लचर व्यवस्था से परेशान था। इस बार भी किसानों को वही चिंता सता रही है।

वैसे भी इस बार शुरू ही से अपने बकाये को लेकर मिलर्स और आपूर्ति विभाग के बीच खींचतान बनी हुई है, अतः चालू सीजन में धान की ख़रीदी ठीक समय पर हो पायेगी, इसमें सन्देह बना हुआ है। क्योंकि मंडी खुलने में महज़ 15 दिन शेष हैं और विवाद है कि थमने का नाम ही नहीं ले रहा।

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पिछले साल भी स्थानाभाव के कारण धान ख़रीदी में बड़ी समस्या आड़े आयी थी एवं तब समस्या ऐसी बन पड़ी थी कि स्वयं प्रदेश एवं केन्द्रीय आपूर्ति सचिवों के हस्तक्षेप के बावज़ूद बात नहीं बन पायी थी। इस बार भी आसार कुछ वैसे ही बनते नज़र आ रहे हैं, क्योंकि न तो भारतीय खाद्य एवं भण्डारण निगम से चावल बाहर जा रहा है और न ही आरआरसी के गोदामों में तिल रखने की जगह है। अफ़सोस तो इस बात का है कि समस्या पर अधिकारियों के कानों जूं नहीं रेंगती।

उस पर भी कोविड-19 के प्रतिबन्धों के चलते इस बार मण्डियों में धान ख़रीदी हेतु प्रातः 7 से लेकर दोपहर बाद 2 बजे तक का समय निर्धारित किया गया है। इतना ही नहीं, प्रतिदिन 30 किसानों को टोकन ज़ारी करने तथा प्रत्येक केन्द्र में धान परिष्करण करने के भी निर्देश हैं। इस बारे में पूछे जाने पर ज़िला आपूर्ति अधिकारी अशोक दास का कहना है कि -स्थान की कोई कमी नहीं होगी एवं धान ख़रीदी सम्पूर्ण व्यवस्थित ढ़ंग से होगी।

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