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जीते जी सेवा की, मरने के बाद भी अपनों से बढ़कर निभाया फर्ज

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हल्द्वानी। कोरोना के डर ने इंसानी रिश्तों की दूरियां और बढ़ा दी हैं। ऐसे दौर में कई लोग ऐसे भी हैं जो अपनों से बढ़कर मानवीय मूल्य निभा रहे हैं। तीन दिन पहले मौत होने पर पुलिस ने अधेड़ के शव को मोर्चरी रखवा शिनाख्त के लिए तमाम प्रयास किए। लेकिन कुछ पता नहीं चला। जब यह बात उन मददगार को युवाओं को पता चली तो वह मोर्चरी पहुंच गए और राजपुरा स्थित श्मशान घाट में चिता को मुखाग्नि दी।

रवि रोटी बैंक के संचालक तरुण सक्सेना के मुताबिक दो साल पहले खाना बांटने के दौरान उन्हें रोडवेज के पास एक अधेड़ नजर आया। उसके पांव में गहरे जख्म थे। बातचीत में अधेड़ ने बताया कि पहले वह बस में परिचालक का काम करता था। चोट लगने के बाद से बेघर हो गया। इसलिए कभी रोडवेज परिसर तो कभी आसपास किसी पार्क में रात काट लेता है। वह काम करने में सक्षम नहीं था। नवल नाम के इस 55 वर्षीय व्यक्ति की देखरेख का बीड़ा रवि रोटी बैंक ने उठा लिया। अस्पताल में इलाज कराने के बाद हर तीसरे दिन पट्टी करवाने की व्यवस्था भी की।

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बुधवार को रोडवेज के पास पुलिस को संदिग्ध हालत में नवल का शव मिला। जिसके बाद पीएम हाउस में रखवा 72 घंटे तक शिनाख्त के प्रयास किए। मगर परिजनों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। इसके बाद तरुण, हेमंत, गौरव यादव, निखिल आर्य व पंकज मोर्चरी से बॉडी लेकर राजपुरा घाट पहुंचे। और अंतिम संस्कार करवाया।

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