डॉ अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर में चल रहे तीन दिवसीय ‘उत्कर्ष महोत्सव’ का दीप-प्रज्जवलित कर किया शुभारंभ
Report ring Desk
नई दिल्ली। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति और स्वास्थ्य नीति दोनों ही भारत की जड़ों से जुड़ी हुई हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भाषा का विशेष ध्यान रखा गया है। संस्कृत के बारे में इसमें चिंता की गई और चर्चा को आगे बढ़ाया गया है। नई शिक्षा नीति को भारतीय परिवेश को ध्यान में रखकर ही बनाया गया है। नड्डा यह बात डॉ अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर में चल रहे ‘उत्कर्ष महोत्सव’ में कही।
नड्डा ने कहा कि हम संस्कृति के रक्षक हैं और संस्कृति को आगे बढ़ाने की दृष्टि से कार्य कर रहे हैं। इसलिए जहां संस्कृत होगी, वहां हमारी विचारधारा होगी। भारतीय परंपराएं, भारतीय संस्कृति, भारतीय उल्लेखों को आगे बढ़ाने के लिए भाजपा और प्रधानमंत्री जी कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। दुनिया में भारत का कोई मुकाबला नहीं है, उसका मूल कारण हमारी संस्कृति ही है।
नड्डा ने कहा कि संस्कृत को जनता तक पहुँचाया जाये। यह ज्ञान और विज्ञान की भाषा है। उन्होंने कहा-जहां संस्कृत है वही संस्कृति है। संस्कृत अमृतवाणी एवं देववाणी है। यह भाषा अंधकार से प्रकाश तक ले जाने का एक माध्यम है। उन्होंने कहा कि संस्कृत को ठीक ढंग से आगे बढ़ाने की जरूरत है और किसी भी सरकार का यह उत्तरदायित्व होता है।
तीन दिवसीय उत्कर्ष महोत्सव के पहले दिन उदï्घाटन सत्र का शुभारम्भ भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मुख्य अतिथि के तौर मंचासीन अतिथियों के साथ दीप-प्रज्जवलित कर सरस्वती माल्यार्पण के साथ किया। इस अवसर पर लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के छात्र-छात्राओं द्वारा कुलगीत का गायन किया गया।
केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी ने कहा कि यह उत्कर्ष न केवल संस्कृत विश्वविद्यालयों तथा संस्कृत छात्रा/छात्राओं का है अपितु यह समस्त भारतवर्ष का है। शिक्षा में भारतीयता लाने के लिए संस्कृत का अध्ययन-अध्यापन अत्यावश्यक है। भारतीयता भारती है और भारती ही संस्कृत है।
राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय तिरुपति के कुलपति प्रो. राधकान्त ठाकुर ने कहा कि संस्कृत का बहुत अधिक महत्त्व है एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी भारतीय ज्ञान परम्परा के महत्व पर बल देती है।
श्रीलालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नईदिल्ली के कुलपति प्रो. मुरली मनोहर पाठक ने सभी का आभार प्रकट किया और कहा- नड्डाजी के पाथेय पाकर संस्कृत के ध्वज को हम विश्व पटल पर स्थापित करने में सक्षम होंगे।


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