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नई दिल्ली। संस्कृत विश्वविद्यालयों की ओर से मनाए गए ‘उत्कर्ष महोत्सव’ में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय दिल्ली के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी ने राष्ट्रपति पुरस्कार (महर्षि बादरायण व्यास सम्मान, संस्कृत) से सम्मानित डॉ अजय कुमार मिश्रा की पुस्तक ‘आजकल का संस्कृत साहित्य’ का विमोचन किया। इस पुस्तक में समकालीन संस्कृत उपन्यासों, नाटकों तथा कविताओं के साथ साथ संस्कृत तथा स्त्री विमर्श की समीक्षा की गयी है।
मालूम हो कि ‘अमृत महोत्सव’ के अवसर पर पाठक को इस किताब के ज़रिए स्वतंत्रता संग्राम में संस्कृत पत्र पत्रिकाओं के योगदानों की सामग्री भी पढऩे को मिली। साथ ही स्वतंत्रता संग्राम के ‘स्वर्ण जयंती’मनाने के दौरान जो भी महत्वपूर्ण संस्कृत लेखन प्रकाश में आये हैं, उनका भी आकलन इसमें किया गया है।
लेखक ने संस्कृत भाषा तथा साहित्य को लेकर जो पाश्चात्य विद्वानों द्वारा एक साजिश के तहत क्लोनाइज्ड (औपनिवेशिक) मिथक का ताना बाना बुना गया है, उसका भी इसमें बडा़ ही माकू़ल जवाब दिया गया है।
पुस्तक में आज की संस्कृत भाषा तथा साहित्य की जीवंतता को स्पष्ट किया गया है। इससे शैल्डन पौलक जैसे अनेक विदेशी विद्वानों की उस बात का खंडन होता है जिसमें उन लोगों ने उत्तर औपनिवेशिक साहित्यिक आक्रमण के जरिये यह मिथक फैलाने का प्रयास किया गया है कि संस्कृत एक मृत भाषा है।


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