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पिथौरागढ़। ‘द्वारा पिथौरागढ़ में रविवार, 24 जनवरी 2021 को 23वीं पुस्तक परिचर्चा आयोजित की गई। रामलीला मैदान के निकट आयोजित हुई वर्ष 2021 की प्रथम पुस्तक परिचर्चा में उपस्थित पाठकों ने इतिहास, विज्ञान, दर्शन, यात्रा-वृत्तांत, उपन्यास समेत विविध विषयों की पुस्तकों पर अपनी बात रखी.
सभी साथियों को पुस्तक परिचर्चा के प्रारूप से अवगत कराते हुए ‘आरंभ’ के शिवम ने कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि आप अपने पसंद की किसी भी किताब (या हाल ही में पढ़ी गयी किसी किताब) पर अपनी राय उपस्थित साथियों के साथ साझा कर सकते हैं.

कार्यक्रम की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश रहती है कि अधिकांश पाठक अपने साथ पुस्तक की प्रति भी लाएँ जिससे अगर किसी अन्य उपस्थित पाठक को वह पुस्तक पढ़ने की इच्छा हो तो पुस्तक की प्रति उपलब्ध रहे. इस तरह यह आयोजन किताबों पर अपनी राय साझा करने के साथ किताबों को साझा करने का भी एक आयोजन बन जाता है. इस छोटे से आयोजन के ज़रिए उपस्थित पाठक विविध विषयों और विधाओं की ढेर सारी किताबों से परिचित होते हैं और अपने पढ़ने के लिए अगली किताब का चयन भी आसानी से कर लेते हैं.
परिचर्चा में पाठकीय टिप्पणियों के सिलसिले की शुरुआत करते हुए उन्होंने इतिहासकार रामचन्द्र गुहा द्वारा गांधी पर लिखी किताब ” गांधी बिफोर इंडिया” पर बात रखते हुए कहा कि “लेखक के इस पुस्तक को लिखे जाने के उद्देश्य और कारण को बताया। उन्होंने बताया कि पुस्तक गांधीजी के बचपन से लेकर स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी भूमिका अदा करने तक की विस्तृत जीवनी है और इसे मोहनदास करमचंद गांधी के महात्मा गांधी बनने के सफर को जाने के लिए ज़रूर पढ़ी जानी चाहिए । पुस्तक गांधीजी के समय के इंग्लैंड , दक्षिण अफ्रीका और भारत के बारे में विस्तार से बात रखती है ।”
आरंभ’ के मुकेश ने प्रो. नरसिंह दयाल द्वारा लिखी “जीन टेक्नोलॉजी और हमारी खेती” पर बात रखी. उन्होंने बताया कि पुस्तक “जीन” के बारे में प्राथमिक समझ बनाने के लिए बहुत उपयोगी है । साथ ही यह किताब जीन के समकालीन उपयोग और हरित क्रांति में इसकी भूमिका और प्रभावों पर भी महत्वपूर्ण बातें रखती है।
कार्यक्रम में उपस्थित युवा पाठक रजत ने किशोर चन्द्र पाटनी द्वारा लिखी “गौरंगदेस से गंगोत्री” पर अपनी टिप्पणी रखी। उन्होंने बताया कि इस पुस्तक से उन्हें यह पता चल सका कि उनका गांव गौरंगदेस में पड़ता है जिस कारण वो इस पुस्तक से जुड़ाव महसूस कर पाए । उन्होंने बताया कि पुस्तक एक रोचक यात्रा वृतांत के रूप में लिखी है जिस कारण इसे पढ़ा जाना चाहिए।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए ‘आरंभ’ के राकेश में राहुल सांकृत्यायन द्वारा लिखी “बौद्ध दर्शन” पर बात रखी। भारतीय इतिहास , दर्शन और बौद्ध साहित्य के क्षेत्र में राहुल सांकृत्यायन की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए उन्होंने पुस्तक को बौद्ध दर्शन की समझ प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण बताया । उन्होंने बताया कि पुस्तक बौद्ध दर्शन के महत्वूपर्ण दार्शनिक पहलुओं और सिद्धान्तों व उनके निष्कर्षों पर ज़रूर बातों को रेखांकित करती है और बौद्ध दर्शन की पूर्व भारतीय दार्शनिकों द्वारा की गई गलत व्याख्याओं पर भी चोट करती है ।
युवा पाठक व छात्र नीरज ने सब्यसाची भट्टाचार्य की “आधुनिक भारत का आर्थिक इतिहास” पर टिप्पणी करते हुए वर्तमान भारत की महत्वपूर्ण आर्थिक पक्षों और पहलुओं को समझने के लिए पुस्तक को महत्वपूर्ण बताया । उन्होंने पुस्तक में भारतीय आर्थिकी और उसके प्रभाव और भविष्य की दिशा पर भी बात रखी ।
जापानी साहित्यकार हरुकि मुराकामी की पुस्तक “Men Without Women” पर ‘आरंभ’ के दीपक ने टिप्पणी साझा की। दीपक ने बताया कि पुस्तक में लेखक ने ‘मिड लाइफ़ क्राइसिस’ को केंद्र बनाकर बहुत सी रोचक कहानियां प्रस्तुत की है जिन्हें इसके संवादों के लिए ज़रूर पढ़ा जाना चाहिए ।
ओमप्रकाश वाल्मीकि की “जूठन” पर ‘आरंभ’ के सूरज ने बात रखी। सूरज ने कहा कि यह पुस्तक ओमप्रकाश वाल्मीकि की आत्मकथा का पहला भाग है जिसमें वो दलित समाज द्वारा झेली जा रहे भेदभाव व विषमताओं में बिताए अपने जीवन और संघर्षों के बारे में बताते हैं। उन्होंने बताया कि पुस्तक लेखक के जीवन, संघर्ष और दलित विमर्श पर भी महत्वपूर्ण बातें रखती है।
पाओलो कोएलो की प्रसिद्ध पुस्तक ‘द अलकेमिस्ट’ पर बात रखते हुए युवा पाठिका ऋचा ने कहा कि जीवन की कठिन परिस्थितियों में हार ना मानने का जज़्बा सिखाने वाली यह प्रेरणादायी पुस्तक सभी आयु वर्ग …

