बागेश्वर। पहाड़ के सरकारी स्कूलों से भले ही लोगों का मोह भंग हो रहा हो और वे अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में न भेजकर प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाना पसंद कर रहे हों, लेकिन राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय कपकोट के शिक्षकों ने एक नया कीर्तिमान कर दिखाया है। राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय कपकोट के 22 बच्चों का चयन सैनिक स्कूल के लिए हुआ है। उनके इस कीर्तिमान की चर्चा चारों ओर हो रही है। एक ओर जहां दूसरे सरकारी स्कूलों में लगातार छात्र संख्या घट रही है, वहीं कपकोट के प्राइमरी स्कूल में एडमिशन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है।
कपकोट प्राइमरी स्कूल की नींव वर्ष 1872 में पड़ी थी। हर साल यहां से 5-6 बच्चे सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के लिए चुने जाते रहे हैं, लेकिन इस बार सारे रिकॉर्ड टूट गए और एक साथ 22 बच्चों का चयन हो गया। इसके साथ ही यहां के 30 बच्चे जवाहर नवोदय और 20 बच्चे राजीव नवोदय विद्यालय में पढ़ रहे हैं और 17 बच्चों का चयन हिम ज्योति देहरादून के लिए हुआ है।
कपकोट के प्राइमरी स्कूल के प्रधानाध्यापक ख्याली दत्त शर्मा और उनके साथी अध्यापकों ने ऐसा कीर्तिमान कर दिखाया जिसे देखकर लोग आश्चर्यचकित हैं। उनके विद्यालय से एक-दो नहीं बल्कि 22 बच्चों का चयन सैनिक स्कूल के लिए हुआ है। बच्चों की इस सफलता के पीछे है विद्यालय में पढ़ाने वाले उन शिक्षकों की कड़ी मेहनत, जो दिन-रात बच्चों के साथ काम करते हैं। कपकोट के प्रधानाध्यापक ख्याली दत्त शर्मा के साथ ही शिक्षक मंजू गढिय़ा, हरीश ऐठानी और अजय तिवारी सुबह छह बजे से रात 10 बजे तक अध्यापन का कार्य करते हैं। यहां के शिक्षक स्कूल में रहकर बच्चों की एक्स्ट्रा क्लास लेते हैं। बच्चों को कम्प्टीशन के लिए नि:शुल्क कोचिंग दी जाती है ताकि वे हर कंपटीशन में आगे रहें।
बीते महीने सैनिक स्कूल में प्रवेश के लिए एंट्रेंस हुआ था जिसमें राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय कपकोट के 22 बच्चे चयनित हुए हैं। आज कपकोट का यह स्कूल देशभर में चर्चा का विषय बन गया है। एक ही स्कूल के 22 बच्चों का सैनिक स्कूल के लिए चुना जाना बड़ा कीर्तिमान है। पूरे देश में कपकोट के सरकारी स्कूल की चर्चा हो रही है।