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भारत में कई कानून अंग्रेजों के शासन के औपनिवेशिक काल से चले आ रहे हैं। मोदी सरकार इन कानूनों को खत्म करने की दिशा में लगी हुई है। इसी कड़ी में संसद में भी कानून पेश किए गए थे। इसी संदर्भ में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को तीन नए आपराधिक न्याय विधेयकों को मंजूरी दे दी। ये विधेयक पिछले सप्ताह संसद में पारित किए गए थे। ये तीन नए कानून भारतीय
न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम हैं। जो कि औपनिवेशिक दौर से चले आ रहे भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लेंगे। गृह मंत्रालय जल्द ही इस बारे में अधिसूचना जारी करने वाला है। गौरतलब है कि उक्त तीनों विधेयक संसद में पेश किए गए थे। गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में बहस के दौरान जवाब देते हुए कहा था कि इनमें सज़ा देने के बजाय न्याय देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। तीनों कानूनों का मकसद विभिन्न अपराधों और उनकी सजाओं की परिभाषा निर्धारित कर देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलना है।