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कोरोना पर काबू कर दूसरों को मदद दे रहा चीन, अमेरिका बना स्वार्थी

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By Anil Azad pandey, Beijing

 

जैसा कि हम जानते हैं कि चीन ने महामारी के खिलाफ संघर्ष में बहुत अच्छे ढंग से सफलता हासिल की है। इसमें न केवल चीन सरकार की अहम भूमिका रही है, बल्कि आम लोगों की भागीदारी भी कम नहीं कही जा सकती। चीन ने व्यवस्थित तरीके से कोरोना संकट को काबू में करने के लिए पुरजोर कोशिश की। इसी के कारण शुरुआत में वायरस की मार झेलने के बाद चीन ने धीरे-धीरे अपने शहरों को खोलना शुरू किया। धीरे-धीरे लोग देश के भीतर पर्यटन के लिए भी जाने लगे। लेकिन इस दौरान पूरी सतर्कता भी बरती जा रही है। उदाहरण के लिए मॉस्क पहनने, ग्रीन कोड दिखाने व सैनिटाइजर आदि का इस्तेमाल बखूबी किया जा रहा है।  

कोरोना महामारी पर काबू पाए जाने के बीच चीन में वैक्सीन लगाने का काम तेज़ी से जारी है। चीन में अब तक करीब 23 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगायी जा चुकी है। जबकि वायरस के संक्रमण के बहुत कम मामले सामने आए हैं। चीन न केवल अपने देश के नागरिकों को वैक्सीन लगा रहा है, बल्कि कई जरूरतमंद देशों की सहायता में भी जुटा है। ध्यान रहे कि चीन ने वैक्सीन तैयार होने से पहले ही वादा किया था वह इसे वैश्विक सार्वजनिक उत्पाद बनाएगा। वैक्सीन बन जाने के बाद चीन ने अपना वचन निभाते हुए कई देशों में वैक्सीन मदद पहुंचायी है, साथ ही निर्यात भी की गयी है। जिसका असर यह हुआ है कि जिन राष्ट्रों को वायरस के खिलाफ लड़ाई में परेशानी आ रही थी, वे वैक्सीन पाकर मजबूत हुए हैं। क्योंकि कोविड-19 महामारी पर नियंत्रण करने के लिए वैक्सीन को एक बड़ा हथियार माना जा रहा है। लेकिन वैक्सीन की पहुंच चंद देशों के हाथों में ही है। चीन ने डब्ल्यूएचओ व अन्य अंतर्राष्ट्रीय मंचों के जरिए भी इसे सभी के लिए सुलभ बनाने की अपील की है।

एक तरफ भारत, ब्राजील, पाकिस्तान, बांग्लादेश, ईरान व यूरोप में महामारी का कहर जारी है। लेकिन दुनिया की सबसे ताकतवर देश अमेरिका इस मौके पर हाथ में हाथ धर कर बैठा है। भारत में हाल के दिनों में महामारी की बिगड़ती स्थिति के बावजूद अमेरिका ने कई दिनों तक वैक्सीन के कच्चे माल के निर्यात पर प्रतिबंध नहीं हटाया। और न ही भारत को वैक्सीन मुहैया कराने की बात कही। यह स्थिति तब है, जब अमेरिका में 3.5 करोड़ से अधिक टीके अतिरिक्त पड़े हुए हैं। बाइडेन प्रशासन द्वारा वैश्विक ज़िम्मेदारी न निभाने जाने को लेकर आलोचना हो रही है। भारत में महामारी के बढ़ते प्रकोप के दौरान हमने देखा कि अमेरिका में उनके सरकार के कई बड़े अधिकारियों ने मदद के लिए आगे आने की अपील की। तमाम आलोचनाओं के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति व उप राष्ट्रपति ने अब भारत को मदद देने का आश्वासन दिया है। हालांकि यह भी कहना होगा कि चीन भारत को सहायता देने की घोषणा कर चुका है, इस संबंध में भारत की ओर से कोई सक्रियता नहीं दिखायी गयी है। संकट की इस घड़ी में चीन द्वारा मदद का आश्वासन दिए जाने की तारीफ करनी होगी, क्योंकि हाल के दिनों में चीन और भारत के संबंध ठीक नहीं रहे हैं। इसे देखते हुए कहना होगा कि भारत को अपने मित्र अमेरिका से ज्यादा चीन की जरूरत है। जो किसी भी मुसीबत के समय आगे आने को तैयार रहता है।

 

साभार- चाइना मीडिया ग्रुप   फोटो साभार- गूगल

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