By Suresh Agrawal, Kesinga, Odisha
एक समय था कि जब चिल्हर अथवा छुट्टे के अभाव में चाय के ठेले, पान-दुकान अथवा अन्य तमाम जगहों पर लेन-देन को लेकर ग्राहक एवं दुकानदार के बीच अकसर तक़रार होते देखी जा सकती थी, परन्तु उसके विपरीत अब हालत यह है कि बाजार में चिल्हर इतनी मात्रा में उपलब्ध है कि कोई उसका लेवाल नहीं है। इतना ही नहीं अनेक जगहों पर तो चिल्हर न लेने के बहाने यह अफ़वाह भी फ़ैलाई जाने लगी है कि एक और दो के सिक्के बन्द हो गये हैं। आलम यह है कि ग्राहक आम तौर पर दस रुपये से कम मूल्य की ख़रीददारी के लिये दुकानदार को नोट के बजाय छुट्टे ही देता है, परन्तु दुकानदार जब चिल्हर लौटाता है, तो अकसर ग्राहक लेने से मना कर देता है। अतः चिल्हर की बहुतायत के चलते बहुत ही विकट एवं अभूतपूर्व स्थिति उत्पन्न हो गयी है। हालत यहां तक पहुंच गयी है कि जैसे पहले चिल्हर पाने के लिये दो से पांच प्रतिशत कमीशन देना पड़ता था, वर्तमान में चिल्हर खपाने हेतु बट्टी (कमीशन) देना होता है।
चिल्हर की बहुतायत के कारण सबसे अधिक परेशानी छोटे दुकानदारों, फुटकर किराना अथवा डेली नीड्स कारोबारियों को उठानी पड़ रही है, क्योंकि उनके पास चिल्हर का जमावड़ा हो जाता है, जिससे उन्हें बड़े व्यापारी को भुगतान करने में कठिनाई होती है, क्योंकि थोक-व्यापारी किसी भी हालत में उनसे चिल्हर में भुगतान नहीं लेता।
विडम्बना की बात तो यह है कि राष्ट्रीयकृत बैंक भी चिल्हर लेने से स्पष्ट तौर पर मना करते हैं। उनका तर्क स्टाफ़ की कमी एवं बैंक में चिल्हर सहेज कर रखने की समुचित व्यवस्था का न होना है। बैंकों के रवैये पर बातचीत करते हुये चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज, केसिंगा अध्यक्ष अनिल कुमार जैन ने बतलाया कि -बैंक सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करते और उनकी कथनी-करनी में काफी अन्तर हैं। नियमानुसार बैंकों द्वारा पर्याप्त मात्रा में चिल्हर स्वीकार करना चाहिये, परन्तु बैंक चिल्हर लेने से इन्कार कर देते हैं या फिर एक दिन में एक खातेदार से अधिकतम सौ सिक्के ग्रहण करते हैं।
इतना ही नहीं, बचत बैंक खातों में भी बैंक एक बार में अधिकतम पचास हज़ार रुपये और महीने में अधिकतम दो लाख ही नगद जमा लेते हैं, इससे अधिक नगद जमा करने पर हैंडलिंग चार्ज देय होता है। चालू खाते पर में भी एक बार में पचास हज़ार से अधिक की नगद राशि जमा करने पर शुल्क देय होता है। पहले यह सब नहीं था। उन्होंने कहा कि बैंकिंग कारोबार में त्वरित सुधार की आवश्यकता है, क्योंकि इसका व्यापार-व्यसाय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। जैन ने बैंकों से चिल्हर के मामले में ख़ास तौर पर कहा है कि वे पर्याप्त मात्रा में इसे स्वीकार करें।


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