By Suresh Agrawal, Kesinga, Odisha
बहुउद्देश्यीय इन्द्रावती जल- विद्युत परियोजना स्थित इंटेक कुँए के मुहाने पर निरन्तर बढ़ते कीचड़ के प्रारदुर्भाव के चलते बड़ी समस्या पैदा हो गयी है। परिणामस्वरूप कीचड़ निस्तारण हेतु गत बुधवार से प्रतिदिन पावरहाउस को बन्द कर सफ़ाई कार्य को अंज़ाम देना पड़ रहा है।
ज्ञातव्य है कि चालू जुलाई माह में गत वर्ष की तुलना में 66 प्रतिशत कम वर्षा रिकॉर्ड की गयी है। अलबत्ता, गत बुधवार को हुई 85 मिलीमीटर वर्षा से किसानों को कुछ उम्मीद अवश्य बंधी है। बहरहाल, सिंचाई की ज़रूरत के समय विद्युत उत्पादन बन्द कर जुलाई में इंटेक कुएँ की सफ़ाई किये जाने का किसानों द्वारा विरोध किया जाना स्वाभाविक ही है और इसमें विभागीय दूरदृष्टि का अभाव स्पष्ट तौर पर झलकता है। जानकारों के अनुसार यदि यही कार्य एक माह पूर्व जून के अन्त तक पूरा कर लिया जाता, तो सिंचाई कार्य बाधित नहीं होता।
उल्लेखनीय है कि इन्द्रावती परियोजना बन कर तैयार हुई तब तीन करोड़ की लागत से एक कीचड़ अवरोधक सेतु का निर्माण भी किया गया था, परन्तु कुछ समय बाद ही वह ढह गया था। तभी से प्रतिवर्ष बाढ़ के पानी से इंटेक कुँए के मुहाने पर कोई तीन सौ मीटर की परिधि में व्यापक तौर पर कीचड़ का जमाव हो जाता है। कीचड़ विस्तार की यह परत तीन मीटर मोटी हो गयी है, परन्तु फिर भी विभागीय अधिकारी न जाने किस दबाव में चुप्पी साधे बैठे हैं।
जहाँ एक ओर इन्द्रावती कालाहाण्डी की कृषि में प्राणों का संचार करती है, वहीं ओड़िशा विद्युत निगम को भी इससे करोड़ों का राजस्व प्राप्त होता है। फिर भी ऊर्ज़ा विभाग की अनदेखी से यह अन्देशा बना हुआ है कि आने वाले समय में इन्द्रावती को किसी बड़े संकट का सम्मुखिन होना पड़े। अतः अत्यावश्यक है कि जलभण्डार की सुरक्षा हेतु कीचड़ अवरोधक सेतु के निर्माण के साथ-साथ इंटेक वैल के मुहाने जमने वाली कीचड़ के निस्तारण हेतु भी फ़ौरी एवं कारगर कदम उठाये जायें।