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‘भारतीय लोक कला की परम्परा एवं उसका समाजिक महत्व’ विषय पर मासिक संगोष्ठी

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नई दिल्ली। संस्कार भारती के कला केंद्र ‘कला संकुल’ में ‘भारतीय लोक कला की परम्परा एवं उसका समाजिक महत्व’ विषय पर मासिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के दौरान कथक प्रस्तुतियां आकर्षण का केंद्र रही।

संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ रंगकर्मी राज उपाध्याय ने लोककला के महत्व पर अपने विचार रखते हुए कहा कि भारत की लोक परम्पराओं में एक सहज अपनापन और सामूहिकता का संस्कार होता है और यही हमें समाजिक सद्भाव एवं पारिवारिक रूप से जोड़े रखता है। उन्होंने लोककलाओं की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए भावी पीढ़ी को लोककलाओं की परम्पराओं को आगे बढ़ाने की दिशा में जागरूक करने हेतु प्रोत्साहन की आवश्यकताओं पर बल दिया।

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संगोष्ठी के दौरान नृत्य विधा से सुश्री तरुषी राजोरा ने कथक नृत्य को कजरी शैली की में प्रस्तुत किया एवं द्वितीय प्रस्तुति के रूप में युगल जोशी डॉ. अमित कुमार राय के गायन पर अंशनू ने कथक नृत्य में कजरी के भाव से परिचय कराया। दोनों कलाकारों की प्रस्तुति पर मुख्य अतिथि द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया।

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कार्यक्रम में कला संकुल व्यवस्था प्रभारी दिग्विजय पाण्डेय, संगोष्ठी संयोजिका रुति सिन्हा, कार्यक्रम संचालिका गरिमा रानी सहित आंचल कुमारी, बृजेश, नंदिनी, निधि तिवारी, शिवम मौजूद रहे।

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