नई दिल्ली। कलश कलाश्री की ओर से दिल्ली के प्यारे लाल भवन में दो दिवसीय नाट्य उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। नाट्य उत्सव के पहले दिन शनिवार को कुमाऊंनी नाटक ‘जागर’ का मंचन किया गया। लेखक पूरन चन्द्र काण्डपाल द्वारा लिखित इस नाटक का नाट्य रूपांतरण कलश कलाश्री के अध्यक्ष के एन पाण्डेय और निर्देशन खिलानन्द भट्ट (अखिलेश भट्ट) ने किया है। इस अवसर पर जनहित में कार्य कर रहे लोगों को सम्मानित किया गया। नाट्य उत्सव के दूसरे दिन रविवार को ‘पहाड़ी बेरोजगार’ और ‘टिंचरी माई द ग्रेट’ का मंचन किया जाएगा। निशांत रौथाण द्वारा लिखे गए ‘पहाड़ी बेरोजगार’ का निर्देशन हिम्मत सिंह नेगी ने किया है और वसुंधरा नेगी द्वारा लिखित व निर्देशित ‘टिंचरी माई ग्रेट’ की सह निर्देशिका संगीता सुयाल हैं।
प्यारेलाल भवन में आयोजित नाट्य उत्सव का शुभारंभ विशिष्ट व्यक्तियों की मौजूदगी में दीप प्रज्वलित करके किया गया। कलश कलाश्री की ओर से शनिवार को कुमाऊंनी नाटक ‘जागर’ का शानदार मंचन किया गया जिसे दर्शकों ने काफी पसंद किया। पूरन चन्द्र काण्डपाल के लिखेे इस उपन्यास में दिखाया गया है कि दूर-दराज पहाड़ के एक गांव के लोग अपनी सभी समस्याओं का समाधान ‘जागर’ मे ही ढूंढते हैं। यहां तक कि यदि किसी की संतान नहीं हो पा रही है तो भी उन्हें लगता है कि जागर लगाने से ही उन्हें संतान की प्राप्ति हो जाएगी। अंधविश्वास और रूढ़ीवाद से घिरे गांव के लोग ‘जागर’ लगाने में ही अपनी जमा पूंजी खो देते हैं। गांव के कुछ नौजवान गांव में फैले इस अंधविश्वास को खत्म करने का संकल्प लेते हैं और ‘जागर’ लगाने वाले लोगों की असलियत गांव वालों के सामने लाते हैं। तब गांव वालों का पता चलता है कि उनके साथ छल-कपट किया जा रहा था। नाटक के माध्यम से बलि प्रथा और समाज में फैली कुुरीतियों को रोकने का संदेश दिया गया है।

जनहित में कार्य कर रहे लोगों को किया सम्मानित
इस अवसर पर समाज और जनहित में कार्य कर रहे लोगो को कलश कलाश्री की ओर से सम्मानित किया गया। गायकी के छेत्र में शानदार कार्य के लिए अल्मोड़ा के दीवान कनवाल, साहित्य के लिए विभूति भूषण जोशी (पयाश पोखड़ा), समाज सेवा के लिए हरदा उत्तरांचली, मीडिया के लिए पिथौरागढ़ के बृजेश भट्ट और संगीत के लिए देहरादून के मनीष कुमार को “कलश” भेंटकर सम्मानित किया गया।
जागर में इन कलाकारों की रही भूमिका
जागर नाटक में चनिका की भूमिका में भूपाल सिंह बिष्ट, चनिका की पत्नी की भूमिका में पुष्पा दत्त, गोपीचन्द्र की भूमिका में के एन पाण्डेय, शंकर की भूमिका में अखिलेश भट्ट, गीता की भूमिका में सविता पंत, माँ की भूमिका में लक्ष्मी महतो, पिता की भूमिका में राम सिंह बाणी, रवि की भूमिका में पुष्कर चन्द्र, रानी की भूमिका में पूजा, कलुवा की भूमिका में भगत सिंह, बंशीधर की भूमिका में दीवान सिंह कार्की, शास्त्री की भूमिका में कुबेर कोटियाल, जनावर की भूमिका शमशेर सिंह बिष्ट, भगवा की भूमिका में कमल भट्ट, ग्रामीण महिलाओं की भूमिका में शोभा पिलखवाल और नंदिता, सूत्रधार की भूमिका विशाल जौहरी व मानसी भट्ट ने निभाई। वहीं मंच का संचालन सौरभ पाण्डेय ने किया और गीत- संगीत निर्देशन हरीश रावत व मनीष कुमार ने किया। गायकी में प्रियांशी मिश्रा की भूमिका रही।
इस अवसर पर वरिष्ठ लेखक पूरन चन्द्र कांडपाल, कलश कलाश्री के अध्यक्ष के एन पाण्डे, संरक्षक हीरा बल्लभ, कोषाध्यक्ष प्रेम प्रकाश जोशी, महासचिव सुरेश पांडे, सांस्कृतिक सचिव जीवन पांडेय, संरक्षक उमेश पांडेय, उपाध्यक्ष ललित भट्ट, मीडिया प्रभारी मोहन जोशी, सह सचिव दीवान कार्की, सांस्कृतिक सदस्य सौरभ पांडेय, सदस्य देव बिष्ट और राम सिंह बाणी, राजेन्द्र पाण्डेय, रूप सिंह भी मौजूद रहे।

