सभी जगह हो रही है ईश्वरी लाल की प्रशंसा
बागेश्वर। जनपद बागेश्वर के ग्राम करौली में रहते हैं ईश्वरीय लाल शाह। ईश्वरीय पेशे से एक किसान हैं और भेड़ पालक भी हैं इसी से उनकी गुजर-बसर चलती है। गांव के ही जूनियर हाई स्कूल में पढऩे वाले बच्चों को ऊबड़- खाबड में खेलता देख ईश्वरी लाल शाह का दिल पिघल गया।
विद्यालय के चारो ओर बाउंड्री न होने के कारण भी विद्यालय में आवारा पशु आ जाते थे। इस समस्या को देखते हुए ईश्वरी लाल ने अपने जीवन की पूंजी लगभग ढाई लाख रुपए विद्यालय को दान दिया। उनके इस कदम से ईश्वरी लाल शाह की चारों ओर वाहवाही हो रही है। सोशल मीडिया में भी ईश्वरी लाल की लोग प्रशंसा कर रहे हैं।
करौली गांव के ईश्वरी लाल शाह अपने बुजुर्ग माता पिता की देखभाल के लिए करीब 15 साल पहले गांव लॉट आए थे। वे बकरियां चराते और परिवार के पालन पोषण के लिए मजदूरी भी करते हैं। बकरी चराने के लिए वे अकसर विद्यालय की ओर भी जाया करते थे। उन्होंने देखा कि बच्चे ऊबड़ खाबड़ मेंं ही खेल रहे हैं उन्हें चोट भी लग रही है और विद्यालय में बाउंड्री तक नहीं है जिससे आवारा पशु विद्यालय में ही चले आ रहे हैं। उन्होंने मन ही मन सोचा कि इस विद्यालय को कैसे ठीक किया जाए और निर्णय लिया कि विद्यालय को ठीक करने के लिए वे अपनी बकरियां बेच देंगे।
ईश्वरी लाल का कहना है कि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वे सिर्फ दूसरी कक्षा तक ही स्कूल जा पाए। इस बात का मलाल उन्हें आज भी है। वे कहते हैं कि शिक्षा के महत्व को भली-भांति जानते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने देखा कि विद्यालय में पढऩे वाले बच्चे ऊबड-खाबड़ में खेलने को मजबूर हैं और आवारा जानवर भी विद्यालय परिसर में घुस जा रहे हैं। तो उन्होंने आज तक की अपनी कमाई विद्यालय को दान में दे दी। बच्चों की पढाई में व्यवधान होता देख उन्होंने मन ही मन ठान लिया कि वे विद्यालय और बच्चों के लिए कुछ करके ही रहेंगे। इसके लिए ईश्वरी लाल ने अपने जीवन की पूंजी लगभग ढाई लाख रुपए विद्यालय को दान किर दी। यही नहीं उन्होंने विद्यालय को आवश्यकता होने पर और भी सहायता कराने की बात कही है। पूरे क्षेत्र में उनके इस कार्य की प्रशंसा की जा रही है।