रवीन्द्र सिंह धामी की फेसबुक वॉल से
भाषा आंदोलन के समर्थक केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के निधन से भाषा संगठन को अपूर्णीय क्षति हुई है। पासवान जी देश में अँग्रेजियत के खिलाफ संघर्ष में अंग्रेजी की हर स्तर पर मानसिक गुलामी से आजादी के लिए वर्ष 1994 में संघ लोक सेवा आयोग के समक्ष ऐतिहासिक धरने में पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, चौधरी देवीलाल, पूर्व पीएम अटल विहारी वाजपेयी , पूर्व पीएम वीपी सिंह आदि के साथ ही तब विपक्ष के प्रमुख नेताओं के साथ धरने में शामिल हुए।
भाषा संगठन का राष्ट्रीय सचिव का दायित्व होने पर अक्सर आंदोलन के दौरान 1991 से 1998 तक उनसे सीधे मिलकर समर्थन मिला। कोरोना काल के बाद वर्षो बाद भाषा आंदोलन के समर्थक रहे सत्ता में प्रमुख लोंगों से भी भाषा आंदोलन की मांगों को लेकर सम्पर्क की तैयारी थी। इसके लिए पिछले दिनों दिल्ली में साथियों से चर्चा हुई। पासवान जी को नमन..आपने भाषा आंदोलन की मांगों का समर्थन किया। आपसे पुनः वर्षों बाद नहीं मिल पाया लेकिन आपका पूर्व में मिला समर्थन हमें हमेशा संघर्ष के लिए प्रेरित करता रहेगा। एक दिन भारतीय भाषाओं को उनका हक दिलाने का संघर्ष कामयाब होगा। नमन
–रवींद्र सिंह धामी, राष्ट्रीय सचिव, अखिल भारतीय भाषा संगठन।