Suresh Agrawal, Kesinga, Odisa
उड़ीसा के कालाहाण्डी के कपास उत्पादकों के घर इस बार की दीवाली अधिक ख़ुशियों वाली होगी। क्योंकि इस बार अप्रत्याशित तौर पर उनका सफ़ेद सोना समर्थन मूल्य से कहीं अधिक कीमत पर जो बिक रहा है। बीते शुक्रवार को यहां कपास 7300 रुपये प्रति क्विंटल के भाव बिका। जानकारों के अनुसार इस बार इसका भाव 8500 रुपए प्रति क्विंटल के पार जाने की संभावना है और मांग को देखते हुये प्रशासन द्वारा इसे मंडी व्यवस्था से मुक्त कर दिया गया है।
अपने उत्पाद की अच्छी क़ीमत मिलने पर किसानों के चेहरों पर ख़ुशी भी देखते ही बनती है। बताया जाता है कि ज़िले में इस बार कपास हेतु क्रय बैठक आयोजित करने से पूर्व ही कोई पचास हज़ार क्विंटल कपास महाराष्ट्र आदि राज्यों को भेजा जा चुका है। वैसे भी कालाहाण्डी के कपास का रेशा उन्नत मान का होने के कारण महाराष्ट्र सहित विभिन्न प्रदेशों में उसकी अच्छी मांग है। साथ ही वहां से व्यापारी यहां ख़रीदने आते हैं, लेकिन दलालों की चाल एवं प्रशासन की दोमुंही नीति के चलते किसानों को उपज का पूरा लाभ नहीं मिल पाता।
ज्ञातव्य है कि ज़िले में इस बार कम बारिश के बावज़ूद कपास की भरपूर फ़सल हुई है और एक आकलन के मुताबिक़ यहां कपास उत्पादन पांच लाख क्विंटल होने का अनुमान है। कपास का समर्थन मूल्य यहां 6025 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है, जबकि इस समय किसानों को अभी से 13 सौ रुपये अधिक मिल रहे हैं। यही कारण है कि स्थिति के मद्देनज़र सरकार ने इस बार कपास को फ़्री-सेल कर दिया है। अन्यथा यहां तो भारतीय कपास निगम का ही बोलबाला रहता था। यद्यपि, गत मंगलवार को आयोजित क्रय पूर्व की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बैठक में कुछ लोगों द्वारा मंडी व्यवस्था की बात उठायी गयी। लेकिन प्रशासन द्वारा उसे नकार दिया गया। विशेषज्ञों के मुताबिक प्रशासन यदि कपास उत्पादकों के होठों पर स्थायी ख़ुशी देखना चाहता है, तो उसे स्थिति का सही आकलन करते हुये समुचित कदम उठाने होंगे।