अमेरिका ने न केवल डब्ल्यूएचओ से किनारा कर लिया है, बल्कि वह अपनी दूसरी अंतर्राष्ट्रीय ज़िम्मेदारियों से भी बचने में लगा है। अमेरिका ने टिक-टॉक व वीचैट पर भी पाबंदी लगाने का ऐलान किया है।
Report Ring News
पिछले कुछ महीनों से चीन व अमेरिका के रिश्तों में तनाव देखने को मिला है। कोविड-19 के बढ़ते प्रभाव के बीच अमेरिका ने चीन के खिलाफ एक अभियान सा छेड़ दिया है। जिससे दोनों देशों के रिश्ते पिछले चार दशक के सबसे निचले स्तर तक पहुंच गए हैं। अमेरिकी नेताओं द्वारा ऐसा माहौल पैदा किया जा रहा है, मानो चीन पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा है। वहीं चीन की वजह से ही विश्व में तमाम समस्याएं पैदा हो रही हैं। पर अमेरिका में कोरोना वायरस की स्थिति हो या नस्लभेद का वायरस दोनों बहुत गहरी जड़ें जमा चुके हैं। इससे ध्यान हटाने के लिए ट्रंप प्रशासन के पास शायद कोई और रास्ता नहीं बचा है। नवंबर में चुनाव होना तय है, ऐसे में देश की अंदरूनी मुसीबतों का ठीकरा किसी न किसी के सिर फोड़ना होगा। कोविड-19 महामारी के दौर में अमेरिका को एक आसान सा तरीका दिख गया है, वो है कि सारी परेशानियों की जड़ अमेरिका है। हालांकि ऐसा नहीं है कि विश्व की दो प्रमुख आर्थिक शक्तियों के रिश्ते पहले बहुत अच्छे थे। लेकिन दोनों देशों द्वारा मतभेदों को किनारे रखकर समान हितों पर ध्यान दिया जाता रहा है।
इस बीच चीन की ओर से संबंधों को बेहतर करने की कोशिश जारी है। चीनी उप-विदेश मंत्री जंग चकुआंग ने अमेरिका से आग्रह किया है कि वह बार-बार नकारात्मक माहौल पैदा करने से बचे। क्योंकि ऐसा करने से किसी को भी लाभ नहीं होगा। इसके साथ ही उन्होंने रिश्तों को सुधारने के लिए संयुक्त प्रयास करने की जरूरत पर भी बल दिया है।
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चीनी नेता द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि कोविड-19 की चुनौती के मद्देनजर अमेरिका को चीन को बदनाम करने से बाज आना चाहिए। इसके साथ ही महामारी से निपटने के लिए द्विपक्षीय सहयोग करने की आवश्यकता भी है।
गौरतलब है कि चीन कोरोना महामारी से निपटने के लिए दूसरे देशों को भी मदद दे रहा है। चीन ने सबसे पहले इस संकट का सामना किया, अब वह अन्य देशों को सहायता देने में जुटा है। जबकि अमेरिका ने न केवल डब्ल्यूएचओ से किनारा कर लिया है, बल्कि वह अपनी दूसरी अंतर्राष्ट्रीय ज़िम्मेदारियों से भी बचने में लगा है। अमेरिका ने टिक-टॉक व वीचैट पर भी पाबंदी लगाने का ऐलान किया है। अमेरिकी नेता चीन को उकसाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। जबकि आज के वैश्विक माहौल में हर राष्ट्र दूसरे राष्ट्र के साथ जुड़ा हुआ है। ऐसे में चीन को नुकसान पहुंचाने से अमेरिका सहित पूरे विश्व को लाभ नहीं मिलने वाला है। अमेरिका को चाहिए कि वह गंभीरता से चीन के साथ रिश्तों को पटरी पर लाने की कोशिश करे।
साभार-चाइना मीडिया ग्रुप
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