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पिछले कई महीनों से चीन और अमेरिका के रिश्तों में तनाव बना हुआ है। हालांकि पिछले साल से ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के खिलाफ व्यापारिक प्रतिबंध लगाना शुरू किया था। लेकिन कोरोना वायरस महामारी का प्रसार तेज़ होते ही चीन पर हमला करने के लिए अमेरिका को एक हथियार मिल गया। अमेरिकी नेता बार-बार वायरस का केंद्र चीन को बताते रहे, लेकिन अपने देश में वायरस को नियंत्रित करने के लिए कोई उपाय नहीं किया गया। अब अमेरिका में महामारी नियंत्रण से बाहर हो चुकी है, साथ ही नवंबर महीने में चुनाव भी हैं। ऐसे में ट्रंप प्रशासन हर मुसीबत की जिम्मेदारी चीन पर डालना चाहता है। हालांकि ट्रंप का यह तरीका काम नहीं आ रहा है, क्योंकि हालिया सर्वे में वे बाइडेन से पिछड़ते हुए दिखे हैं।
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यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि अमेरिका द्वारा उकसाए जाने के बावजूद चीन संयम से काम ले रहा है। चीनी नेताओं की ओर से जारी संयमित बयान इस बात का द्योतक हैं। एक ओर अमेरिका विश्व स्वास्थ्य संगठन
से हट चुका है, वहीं चीन जिम्मेदार देश के रूप में कई प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग कर रहा है।
इस बीच चीन के एक वरिष्ठ राजनीतिक सलाहकार खोंग छुआन ने अमेरिका से चीन के रुख पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देने, संघर्ष व टकराव से बचने और आपसी सम्मान के आधार पर सक्रिय रूप से सहयोग का विस्तार करने का आह्वान किया है।
उनका मानना है कि ऐसा करने से चीन-अमेरिका रिश्ते पटरी पर आ सकते हैं। समाचार एजेंसी शिंहुआ के साथ इंटरव्यू में खोंग ने कहा कि कुछ अमेरिकी नेताओं ने हाल ही में झूठे दावे किए थे, जिसमें यह भी शामिल था कि चीन द्वारा अमेरिका को बर्बाद किया जा रहा है।
उन्होंने यहां तक कहा कि चीन के साथ सहयोग की अमेरिकी नीति विफल हो चुकी है, जो शीत-युद्ध की सोच को उजागर करने और द्विपक्षीय संबंधों के विकास में मुसीबत बन रहा है।
वहीं चीन-अमेरिका व्यापार की बात करें तो राजनयिक संबंध शुरू होने से अब तक में इसमें 200 गुना का इजाफा हो चुका है। द्विपक्षीय निवेश 240 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। ऐसे में दोनों देशों के रिश्तों को खत्म करना असंभव सा लगता है।
अब अमेरिका को चाहिए कि वह चीन के साथ बराबरी और सम्मान के साथ पेश आए, क्योंकि चीन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। और वैश्विक विकास में चीन के योगदान को कम करके नहीं आंका जा सकता है।
साभार-चाइना मीडिया ग्रुप
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