By Suresh Agrawal, Kesinga, Odisha
पूर्व कालाहाण्डी सांसद एवं देश के रेल राज्यमंत्री रहे भक्तचरण दास ने उन पाँच बिन्दुओं का ज़िक्र किया है, जिन पर अमल किये जाने पर कोरोना महामारी के चलते आयी आर्थिक मन्दी से देश त्वरित गति से उबर सकता है। दास ने हाल ही में अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी कार्यकारिणी पुनर्गठन के बाद पार्टी द्वारा उन्हें मिज़ोरम एवं अरुणाचल प्रदेश का प्रभारी बनाये जाने के बाद ख़ास बातचीत के दौरान इन बिन्दुओं की चर्चा करते हुये कहा कि – अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने हेतु सबसे पहले यह ज़रूरी है कि देश में युध्दस्तर पर सभी नागरिकों का कोरोना टेस्ट कराया जाये एवं संक्रमित पाये जाने वालों का उसी तेज़ी से समुचित इलाज़ हो। क्योंकि कोरोना से निज़ात पाये जाने पर ही देश का आगे बढ़ना सम्भव होगा। दास ने कहा कि इस कार्य के लिये नियमित चिकित्सकों के अलावा विभिन्न विश्ववविद्यालयों में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे प्रतिभावान विद्यार्थियों को नियोजित कर वांछित परिणाम हासिल किया जा सकता है। दास ने कहा कि थाली बजाने अथवा दीप प्रज्ज्वलित करने से कोरोना भगाने की अवधारणा अंधविश्वास पर आधारित है, अतः ऐसी बातों में समय न गवां कर चिकित्सकीय आधार पर महामारी से लड़ने पर ही विजय हासिल की जा सकती है। दास ने आगे कहा -कि लोग ठीक होंगे, तो काम करेंगे, तभी बाज़ार खुलेंगे और व्यापारिक गतिविधियां शुरू होने पर अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे स्वाभाविक होगी। उन्होंने कहा आज बेरोज़गारी के चलते लोगों की क्रय-शक्ति क्षीण हो गयी है, बल्कि यह कहना ग़लत न होगा कि लोगों की क्रय शक्ति को तो सरकार ने कोरोना से पहले ही विमुद्रीकरण अथवा नोटबंदी के ज़रिये समाप्त कर दिया था। आज छोटे एवं मझौले कारोबारियों का व्यवसाय चौपट हो गया है।
वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के लगातार हो रहे आक्रामक रवैये पर दास का कहना है कि -आज भारत एक से एक आधुनिक एवं शक्तिशाली मिसाइलों का सफल परीक्षण कर रहा है और सामरिक दृष्टि से हम किसी से कमज़ोर नहीं हैं, फिर भी प्रधानमंत्री चीन के विरुद्ध एक लाइन भी नहीं बोल रहे हैं। चीन के विरुध्द ज़ोरदार ढ़ंग से अपनी बात रखते हुये सीमा पर कार्रवाई होगी, तभी वह पीछे हटने को मज़बूर होगा। वैसे भी आज भारत अकेला नहीं, वरन उसके साथ बहुत से मित्र-राष्ट्रों का समर्थन है। उन्होंने इस बात पर अफ़सोस जताया कि ख़ुफ़िया एजेंसियां तो यह कह रही हैं कि चीन भारतीय में घुस आया है, परन्तु सरकार इस बात को स्वीकार नहीं करती।
अयोध्या में राम-मन्दिर मुद्दे पर बोलते हुये उन्होंने कहा कि -कोरोना जैसी संवेदनशील स्थिति में भी भूमिपूजन के समय प्रधानमंत्री स्वयं वहां गये, जबकि यह काम मन्दिर मुद्दे से जुड़े अन्य लोग कर सकते थे, ऐसे मौके पर राजनीति करना उचित नहीं।
दास ने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह किसी भी विरोधी नेता की बात सुनने को तैयार नहीं है एवं मीडिया के ज़रिये असल समस्या से लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा -राहुल गांधी कोरोना के आगमन से और पहले से मुखर होकर सरकार की खामियों की ओर ध्यान खींच रहे हैं, परन्तु उनकी अनदेखी की जा रही है।
दास ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुये कहा कि -आज देश के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) की स्थिति अनेक देशों के मुक़ाबले काफ़ी नीचे चली गयी है एवं बेरोज़गारी अपने चरम पर है, इस पर कांग्रेस के नेता राहुल गांधी अब संज्ञान ले रहे हैं एवं कांग्रेस वर्किंग कमिटी के पुनर्गठन में इस बात को अच्छी तरह ध्यान में रखा गया है।
देश में कोरोना की स्थिति गम्भीर होने की बात को उठाते हुये उन्होंने इसके लिये भी सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया और कहा -जब दस हज़ार भारतीयों को विदेशों से यहां लाया गया, तो उन्हें क्वॉरंटीन में रखने के बजाये क्यों कर सीधे उनके घर भेज दिया गया ? इतना ही नहीं विश्व में कोरोना के तेज़ी से हो रहे विस्तार के समय ही प्रधानमंत्री द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को अहमदाबाद बुलाया गया। इतना ही नहीं उसी समय मध्यप्रदेश में सरकार को तोड़ अपनी सरकार बनाई गयी, रैली की गयी और फिर ज़मात को दोषी ठहराया गया। आख़िर ज़मात को अनुमति किसने दी, क्योंकि क़ानून-व्यवस्था एवं पुलिस महकमा तो सरकार ही के अधीन होता है। अतः सरकार ने वह सब किया, जो उसे नहीं करना चाहिये था।
उन्होंने कहा -कोरोना संक्रमण फ़ैलने की एक बड़ी वज़ह लॉकडाउन लागू होने के बाद प्रवासी मज़दूरों को उनके घर भेजना था, यदि यह काम पहले कर लिया जाता, तो स्थिति इतनी भयावह न होती।
दास मानते हैं कि देश को कांग्रेस की बहुत बड़ी देन है एवं नेहरू, इन्दिरा गांधी एवं राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री रहते देश को काफी आगे बढ़ाया है। आज देश जिस आधुनिक दूरसंचार प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहा है, उसे लेकर आने वाले राजीव गांधी ही थे।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी से लोगों का मोहभंग होने लगा है एवं मौक़ा आते ही लोग इसका संकेत दे देंगे। उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह के बारे में टिप्पणी करते हुये कहा कि -उनका अस्तित्व तभी तक है, जब तक मोदी हैं, क्योंकि मोदी के बग़ैर उन्हें कोई नहीं जानता।
मिज़ोरम और मणिपुर का प्रभारी बनने के बाद कालाहाण्डी पर कैसे ध्यान दे पायेंगे, इस प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि -कालाहाण्डी मेरी माटी है, पूर्वोत्तर राज्यों का प्रभारी बनने का मतलब यह कतई नहीं कि -मैं यहां से अपना बोरिया-बिस्तर समेट कर जा रहा हूँ।
क्या कांग्रेस अपनी बदहाली से कभी उबर पायेगी, इस प्रश्न के उत्तर में दास ने कहा कि समय कभी एक जैसा नहीं रहता और फिर भारत के लोग तो इतने निराले हैं कि पता नहीं, कब किसका पत्ता साफ़ कर दें।