By Suresh Agrawal, Kesinga, Odisha
कोई चार माह पूर्व वैश्विक महामारी कोविड-19 के चलते पहले लागू लॉकडाउन तथा उसके बाद अनलॉक की स्थिति की समीक्षा करने वालों के अनुसार कालाहाण्डी ज़िले में व्यापार, उद्योग की स्थिति पर काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, जो कि घट कर आधा रह गया है एवं ज़ल्द ही स्थिति में सुधार नहीं आया, तो हालत और भी जटिल हो सकते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार महामारी से पूर्व केसिंगा शहर में स्थित सात राष्ट्रीयकृत बैंकों में में प्रतिदिन कोई पाँच करोड़ का कारोबार होता था, जो कि घट कर अब महज़ तीन करोड़ रह गया है।
स्थिति की समीक्षा करते हुये पूर्व बैंक अधिकारी रहे अमीय नन्द का कहना है कि -केसिंगा का व्यापार-व्यवसाय इसके इर्द-गिर्द के ग्रामीण क्षेत्रों पर निर्भर करता है, जहाँ रोज़गार के अवसर घट जाने के कारण लोगों के हाथ में पैसा नहीं है और उनकी क्रय-शक्ति शून्य हो गयी है, अतः उसी का सीधा असर बाज़ार पर देखने को मिल रहा है। फिर उद्योगों को कच्चे माल की उपलब्धता की कमी एवं परिवहन ख़र्च में बेतहाशा बढ़ोतरी का असर भी स्वाभाविक तौर पर चीज़ों पर पड़ता है।

आर्थिक जगत के जानकार एवं चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज, केसिंगा के पूर्व अध्यक्ष सजन जैन का कहना है कि -भले ही व्यापार व्यवसाय को स्थिरता प्रदान करने सरकार द्वारा व्यापारियों को बैंकों में ऋण अथवा सीसी लिमिट बढ़ाने की सुविधा प्रदान की हो, विभिन्न क्षेत्रों में सरकारी रवैया पूरी तरह नकारात्मक है। वर्तमान हालत से उबरने सरकारी प्रोत्साहन की बेहद ज़रूरत है।
देखने में आया है कि ज़िले के विभिन्न स्थानों में लगने वाले लॉकडाउन अथवा शटडाउन का व्यापार, व्यवसाय पर चिंताजनक ढ़ंग से असर हुआ है, जिससे व्यापारियों की कमर ही टूट गयी है। स्थिति से कपड़ा तथा फ़ैंसी वस्तुओं का व्यापार साठ प्रतिशत तक गिर गया है। यहां तक कि दवा जैसी अत्यावश्यक वस्तु-व्यापार में भी चालीस प्रतिशत गिरावट दर्ज़ की गयी है। महामारी के चलते ब्याह-शादी आदि की ख़रीददारी भी काफी प्रभावित हुई है। फिर दुकानदारी का समय सीमित होना भी गिरावट का एक मुख्य कारण है।
प्रदेश से बाहर से आने वाली सामग्री पर अत्यधिक बढ़े परिवहन ख़र्च, वस्तुओं की कमी तथा व्यापार घटने की स्थिति में कर्मचारियों की छटनी भी आर्थिक मंदी का एक कारण है। केसिंगा शहर की ही बात करें, तो ज़िले का प्रमुख रेलवे हेड होने के फलस्वरूप यहाँ बड़ी तादाद में बाहर से सामान की आवाजाही के चलते श्रमिकों को रोज़गार मिलता था, जो कि ट्रेनें बन्द होने के कारण ठप हो गया है।
आलम यह है कि जहाँ एक ओर महामारी के चलते यहां सब्ज़ियों के भाव आसमान छूने लगे हैं, वहीं ग्राहकों की कमी के चलते सब्जी बाज़ार की हालत भी पतली हो गयी है, जिसके चलते लोगों का पेट पालना मुश्किल हो गया है।
ज़िले में केसिंगा शहर ही को लें, तो यहाँ जीन्स, शर्ट, टायर-ट्यूब तथा वाहनों के नट-बोल्ट आदि बनाने वाले कोई चौंतीस उद्योग विद्यमान हैं एवं यहाँ का बना सामान देश के कोने-कोने तक पहुंचता था, जो कि कोविड-19 की मार से अब बुरी तरह प्रभावित है। इस बारे में उद्योगपति रामअवतार अग्रवाल का कहना है कि -यद्यपि, बिजली, पानी, परिवहन आदि की स्थिति ज़िले के अन्य भागों के बनिस्पत यहां काफी अच्छी है, फिर भी उद्योग कारोबार में कोई चालीस प्रतिशत की गिरावट आयी है।
चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज, केसिंगा अध्यक्ष अनिल कुमार जैन वर्तमान स्थिति का आंकलन करते हुये कहते हैं कि – कोविड-19 के चलते भले ही शेष तमाम व्यापार-व्यवसाय धराशायी हो गये हों, परन्तु शराब एवं गुटखा आदि नशीले पदार्थों के व्यापार में न केवल इज़ाफ़ा हुआ है, बल्कि इन वस्तुओं की बेतहाशा बढ़ी क़ीमतों के बावज़ूद यह कारोबार बे-रोकटोक ख़ूब फ़लफूल रहा है। जैन ने यह शिकायत भी की है कि -कोविड-19 की स्थिति का सामना करने भले ही सरकार द्वारा आवास-ऋण सहित विभिन्न मदों में दी जाने वाली समान मासिक क़िस्त (ईएमआई) में छूट दिये जाने की घोषणा की गयी हो, व्यावहारिक तौर पर उसे लागू नहीं किया गया है।

