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‘ग्रेजुएशन अप्रोच’ को राज्यों में लागू करने की घोषणा

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19.5 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने की पहल

नई दिल्ली। भारत सरकार के समावेशी आजीविका और गरीबी उन्मूलन प्रयासों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अब्दुल लतीफ़ जमी़ल पॉवर्टी एक्शन लैब (जे.पाल) और द-नज इंस्टीट्यूट ने इंडिया स्केल-अप समिट 2025 में ग्रेजुएशन अप्रोच कार्यक्रम को राज्यों में लागू करने की घोषणा की है। यह पहल मुख्यत: असम, त्रिपुरा, मेघालय, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और झारखंड में केंद्रित होगी जबकि मध्य प्रदेश भी इस मॉडल को अपनाने की तैयारी कर रहा है। इस अवसर पर भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय की संयुक्त सचिव स्मृति शरण तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव एस. कृष्णन भी उपस्थित थे।

पिछले एक दशक में भारत ने गरीबी घटाने के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। इसके बावजूद नीति आयोग की 2023 की गरीबी सूचकांक रिपोर्ट के अनुसार आज भी लगभग 19.5 करोड़ लोग गरीबी में जीवनयापन कर रहे हैं। ऐसे में राज्य सरकारों की भागीदारी के साथ लागू किया जा रहा ग्रेजुएशन अप्रोच गरीबी उन्मूलन का एक सशक्त और विस्तार योग्य समाधान बनकर उभर रहा है।

इस मॉडल के तहत परिवारों को दो वर्षों तक एक समग्र सहयोग पैकेज दिया जाएगा जिसमें उत्पादन हेतु परिसंपत्तियाँ जैसे-पशुधन या छोटे व्यवसाय तकनीकी प्रशिक्षण, उपभोग सहायता, बचत की सुविधाएं नियमित गृह-भ्रमण और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच शामिल हैं। कार्यक्रम को स्टेट रूरल लाइवलीहुड मिशन के माध्यम से स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप लागू किया जाएगा।

सम्मेलन में जे.पाल साउथ एशिया की कार्यकारी निदेशक शोभिनी मुखर्जी ने कहा कि यह मॉडल गरीबी उन्मूलन की दिशा में एक नया मार्ग प्रशस्त करेगा। उचित सहयोग मिलने पर सबसे गरीब परिवार भी अपने जीवन की बागडोर संभाल सकते हैं। द-नज इंस्टीट्यूट के लिवलीहुड कार्यक्रम प्रमुख जॉन पॉल ने कहा-इस मॉडल को पूरे भारत में विस्तारित करना हमारी प्राथमिकता है। यह ग्रामीण भारत में गहन और स्थायी परिवर्तन की नींव डालेगा।

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