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हल्द्वानी। हम अपने जीवन में आए कूड़े को फेंक देते हैं मगर उनकी दिनचर्या की शुरुआत कूड़े से होती है। कूड़े के काम से घर चलता है, बच्चों का स्कूल और दवा -पानी सबकुछ।
यहां बात हो रही है कूड़ा बीनने वाली महिलाओं के जीवन की । आमतौर पर मजदूरी करने वाली या फिर कामकाजी महिलाओं से इनकी दिनचर्या अलग है। सूरज निकलने से पहले ये कूड़ा बीनने निकल जाती हैं। कई बार चोरी का इल्जाम लगता है तो कभी कुत्ते भी काटते हैं। कूड़ा बीनने वाली ये महिलाएं हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास ढोलक बस्ती की हैं। मगर ये मीना, रीना हर शहर में मिल जाएंगी।


