By Aashish Pandey
‘लाफिंग बुद्धा’ ( Laughing Buddha) यानी हंसता हुआ बुद्ध दुनिया भर में शुभ माना जाता है। इसकी मूर्ति सुख और समृद्धि की प्रतीक मानी जाती है। माना जाता है कि कोई लाफिंग बुद्धा को गिफ्ट करे तो यह और भी फलदायी होता है। लाफिंग बुद्धा कहां से आया और इसकी मान्यता का राज बहुत कम लोगों को पता रहता है। चलिए आज बताते हैं लाफिंग बुद्धा के पीछे छुपे इन तमाम रहस्यों को।
बौद्ध धर्म में जिसे ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है वह बौद्ध कहलाता है। भगवान बुद्ध के दुनियाभर में शिष्य थे। जिनमें से एक शिष्य जापान के होतेई ( Hotei) थे। कहा जाता है कि जब होतेई को ज्ञान प्राप्त हुआ तो वह जोर जोर से हंसने लगे। ज्ञान बांटने के बजाय उन्होंने अपने जीवन का उद्देश्य लोगों को हंसाकर खुशियां बांटना बना लिया।
वह जहां भी जाते थे लोगों को हंसाते थे। जापान और चीन में लोग उन्हें हंसता हुआ बुद्धा कहने लगे। होतेई के हंसने और हंसाने के उद्देश्य को उनके अनुयायियों ने दुनियाभर में फैलाया। हंसने और हंसाने का प्रचार दुनियाभर में इस स्तर पर हो गया कि चीनी लोग होतेई को भगवान मानने लगे। भगवान की तरह उनकी तस्वीर और मूर्तियों को अपने घर में रखने लगे। घर में इनको रखना गुड लक भी माना जाने लगा ।
होतेई लोगों को प्रवचन नहीं देते थे बल्कि हंसकर खुशियां बांटते थे। उनके सानिध्य में लोगों ने सांसारिक तकलीफ को भूलकर खुलकर हंसना सीख लिया और शांति का अनुभव करने लगे। होतेई के अनुसार पूरी सृष्टि हंस रही है लेकिन लोग अपनी तकलीफ में उलझकर रह जाते हैं । उनके साथ रहते हुए लोगों ने जाना कि बिना किसी कारण भी खुलकर हंसा जा सकता है। आज भी होतेई की प्रतीक उनकी मूर्ति दुनियां भर में लोगों को हंसने हंसाने और समृद्धि का संदेश बांट रही है।