राज्य सरकार द्वारा ज़ारी किया गया दस करोड़ का अनुदान
By Suresh Agrawal, Kesinga, Odisha
तमाम आशा-निराशाओं के भँवर से आख़िरकार अंचलवासियों के लिये वह शुभ-सूचना निकल कर सामने आ ही गयी, जब केसिंगा में रेलवे अण्डरब्रिज निर्माण का उनका सपना अब ज़ल्द ही साकार हो जायेगा। वैसे तो यह सपना गत मार्च-अप्रैल में ही पूरा होने वाला था, परन्तु कोविड-19 के प्रार्दुभाव के चलते तब यह सब कुछ ठण्डे बस्ते में चला गया था। परन्तु, अब गत 26 अगस्त को ओड़िशा शासन द्वारा औपचारिक तौर पर यह पुष्टि कर दी गयी है कि अण्डरब्रिज निर्माण हेतु आवश्यक दस करोड़ की अनुदान राशि रेलवे को हस्तांतरित कर दी गयी है, तो अंचल में खुशी की लहर दौड़ गयी है। विशेषकर, दशकों से अण्डरब्रिज आन्दोलन से जुड़े लोगों में तो खुशी का पारावार ही नहीं रहा।
ज्ञातव्य है कि राष्ट्रीय राजमार्ग 26 पर केसिंगा रेलवे लेवल क्रॉसिंग पर एक अण्डरब्रिज निर्माण की मांग को लेकर क्रियानुष्ठान समिति के तत्वावधान में गत जनवरी-फ़रवरी में 24 चौबीस दिन लम्बा आन्दोलन चला था, जिसमें सभी राजनीतिक दल, सामाजिक संगठन, किसान, छात्र, बुध्दिजीवी पुरुष-महिला सभी एकसाथ आंदोलन पर उतर आये थे। आंदोलन के चलते केसिंगा में बिछाई जा रही तीसरी रेल-लाइन के काम को भी बन्द करना पड़ा था, नतीज़तन कालाहाण्डी के लेकर भुवनेश्वर और दिल्ली तक हुक्मरानों के कान खड़े हो गये थे।
तब हमेशा नाकारा से दिखने वाले स्थानीय नेताओं की ओर से भी समाधान हेतु चहुँ ओर प्रयास तेज़ कर दिये गये थे। जहाँ सांसद बसन्त कुमार पंडा, ओड़िशा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रदीप्त नायक द्वारा अण्डरब्रिज हेतु ज़मीन तैयार की गयी, वहीं वर्तमान में राज्यसभा सांसद सुजीत कुमार, मंत्री कैप्टन दिव्यशंकर मिश्र, तथा प्रदेश के 5-टी सचिव वी.के.पाण्डियन द्वारा मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के साथ इस पर प्रभावकारी चर्चा की गयी। तब मुख्यमंत्री द्वारा स्वयं अनुदान दिये जाने की घोषणा किये जाने के बाद मामला थमा था।
इतना ही नहीं आंदोलनकारियों के रुख को भांपते हुये सरकार द्वारा अतिरिक्त लचीला रुख अपनाते हुये ज़िलाधीश कालाहाण्डी डॉक्टर गावली पराग हर्षद को आंदोलनकारियों को सरकारी निर्णय से अवगत कराने धरना स्थल पर भेजा गया एवं मीठा खिला कर उनका आमरण अनशन समाप्त कराया गया।
आंदोलनकारी भी इस बार काफी आश्वस्त थे और उन्होंने भी सरकार के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने में कोई कोताही नहीं बरती। आंदोलनकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल तुरन्त भुवनेश्वर के लिये रवाना हो गया। इस बीच रेलवे द्वारा भी टेण्डर प्रक्रिया पर काम करना शुरू कर दिया गया, परन्तु तभी अप्रत्याशित तौर पर वैश्विक महामारी कोविड-19 का प्रारदुर्भाव हो गया और बात ठण्डे बस्ते में जाने के साथ ही अनुदान-राशि भी खटाई में पड़टी नज़र आई।
वैसे विगत के इन सात महीनों में क्रियानुष्ठान समिति द्वारा मंत्री दिव्यशंकर मिश्र एवं सांसद सुजीत कुमार का पीछा नहीं छोड़ा गया, जिनके ज़रिये बात मुख्यमंत्री तक लगातार पहुंचती रही और फिर अभी दो दिन पहले ही सुजीत कुमार द्वारा प्रदेश के 5-टी सचिव श्री पाण्डियन से मिलकर मुख्यमंत्री का ध्यानाकृष्ट किया गया, तो लोगों की भावनाओं से जुड़ा अहम मुद्दा समझते हुये मुख्यमंत्री ने और विलम्ब करना उचित नहीं समझा एवं आनन-फ़ानन में ही अनुदान ज़ारी करने की घोषणा कर दी गयी।
उक्त घोषणा के तुरन्त बाद क्रियानुष्ठान समिति अध्यक्ष देवेन्द्र भुजबल तथा आवाहक ए. सुरेश राव झूम उठे और उन्होंने इसे आम आदमी की जीत बतलाते हुये उन तमाम लोगों के प्रति आभार प्रकट किया, जिन्होंने अण्डरब्रिज निर्माण आंदोलन-यज्ञ में अपनी आहुति दी थी। पदाधिकारी द्वय मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, सांसद सुजीत कुमार एवं बसन्त कुमार पंडा, मंत्री दिव्यशंकर मिश्र, नेता प्रतिपक्ष प्रदीप्त नायक के अलावा उन तमाम राजनीतिक दलों के नेता, सामाजिक संगठनों के प्रति आभार प्रकट करना नहीं भूले, जिनके सामूहिक प्रयास के चलते आज यह परिणाम देखने को मिला है।
सुरेश राव इसे सरकार द्वारा किया गया जनभावनाओं का सम्मान कहा गया, जबकि चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज, केसिंगा अध्यक्ष अनिल कुमार जैन ने इससे लम्बे समय से चली आ रही यातायात समस्या का एक समुचित हल होना कहा है। पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती प्रतिभा चौधरी ने लोगों के ज़ज़्बे को सैल्यूट कहा है। नागरिक सचेतनता मंच अध्यक्ष चित्तरंजन भोई ने देर ही से सही, अंचलवासियों का स्वप्न साकार होने पर खुशी जताई है। आंदोलन से जुड़े एक अन्यतम पुरोधा महेन्द्र नायक द्वारा इसे सभी के लिये बड़ी जीत बतलाया गया। पूर्व नगरपाल द्वय रामजी मातखंडिया एवं श्रीमती सरिता सिन्दूर द्वारा इसके लिये केन्द्र एवं राज्य दोनों सरकारों का शुक्रिया अदा किया गया, जबकि कृषक नेता परशुराम पाढ़ी ने इसे आज़ादी की नई पहल करार देते हुये अपनी खुशी का इज़हार किया गया है।