देहरादून। उत्तरकाशी की आशा फैसिलिटेटरों ने उन्हें संविदा कर्मचारी घोषित किए जाने, 20 दिन मोविलिटी के स्थान पर 30 दिन की मोविलिटी समेत अपनी प्रमुख समस्याओं को लेकर उच्च शिक्षा, सहकारिता एवं स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत से मुलाकात की और अपनी मांगों से संबंधित पत्र उन्हें सौंपा। आशा फैसिलिटटरों ने कहा कि उनकी मांग को जल्द से जल्द पूरा किया जाए।
उच्च शिक्षा, सहकारिता एवं स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत से मुलाकात कर उन्होंने कहा कि आशा फैसिलिटटरों को 30 दिन का मानदेय दिया जाए। साथ ही उन्हें संविदा कर्मचारी घोषित करने की मांग भी की है। आशा फैसिलिटटरों का कहना है कि वे आशाओं का प्रतिनिधित्व एवं मार्गदर्शन करते हुए स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी, टीकाकरण, स्वच्छता, जच्चा-बच्चा, कोविड-19 से बचाव व कोविड वैक्सीनेशन एवं सरकारी कार्यक्रमों का सफल संचालन कर रही है। उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है इस संबंधत में स्वास्थ्य विभाग को पहले भी कई बार अवगत कराया जा चुका है। लेकिन उनकी बात को नहीं सुना जा रहा है।
आशा फैसिलिटटरों का कहना है कि अति दुर्गम क्षेत्रों में अवागमन के साधन नहीं होते हैं जिस कारण आशा फैसिलिटेटरों को दुर्गम क्षेत्रों में पैदल जाकर कार्य करना पड़ता है। सरकार द्वारा हमें 20 दिन का मोबिलिटी के रूप में प्रति विजिट 500 रुपए दिए जा रहे हैं। हमें जो धनराशि मिलती वह हमारे यात्रा व्यय में ही खर्च हो जाती है, जिससे उन्हें अपने परिवार के भरण पोषण में भी दिक्ïकत होती है। आशा फैसिलिटटरों ने उन्हें यात्रा भत्ता भी दिए जाने की मांग की। मुलाकात करने वालों में सरिता रावत, मंजु सलोनी, कबिता देवी, कुसुम रावत, गीता नौटियाल आदि थे।