Report ring Desk
धौलछीना, अल्मोड़ा। भूतपूर्व विधायक स्वर्गीय श्री गोविन्द सिंह बिष्ट के नाम से नौगांव में डिग्री कालेज बनाए जाने की मांग वर्षों से उठती आई है लेकिन दशकों बीतने के बावजूद नौगांव महाविद्यालय बनाने की मांग पूरी न हो सकी, जिससे यहां के लोगों में काफी आक्रोश है और लोग एक बार फिर से महाविद्यालय के लिए आंदोलन का मन बना रहे है। रीठागाड़ संघर्ष समिति भी यहां महाविद्यालय खोलने के लिए संघर्ष करती रही है, सरकारें आई और गई लेकिन नौगांव महाविद्यालय अस्तित्व में नहीं आ पाया। बार बार नेताओं का अश्वासन तो मिला पर महाविद्यालय बनाने की बात कागजों पर ही सिमटती रही। रीठागाड़ के लोगों का महाविद्यालय बनाने का सपना पूरा नहीं हो पाया।
रीठागाडी दगडिय़ो संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्रताप सिंह नेगी का कहना है कि समिति भी यहां पर महाविद्यालय बनाए जाने को लेकर वर्षों से संघर्ष कर रही है लेकिन आज तक उनकी मांग पूरी नही हो पाई, जनता को हर बार छला ही गया। उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद लोगों को कुछ उम्मीद जरूर जगी थी पर 23 साल बाद भी यह महाविद्यालय अस्तित्व में नहीं आ पाया।

मालूम हो कि नौगांव महाविद्यालय भूतपूर्व विधायक जनसंघी स्व. श्री गोविन्द सिह बिष्ट का पैतृक गांव भी है। काफी लम्बे समय से उनके नाम पर महाविद्यालय बनाने की बात चल रही है लेकिन आज तक महाविद्यालय का सपना पूरा नहीं हो पाया है। रीठागाड़ दगडिय़ो संघर्ष समिति ने कई बार इसके लिए शासन प्रशासन को अवगत कराया लेकिन हर बार इसकी अनदेखी ही की गई। रीठागाड़ संघर्ष समिति ने इसके लिए चक्का जाम भी किया तब नेताओं की ओर से उन्हें आश्वासन तो दिया गया लेकिन इस पर अमल नहीं हो पा रहा है। बार बार अपने को ठगा महसूस कर रहे रीठागाड़ के लोग महाविद्यालय के लिए फिर से आंदोलन का मन बना रहे है। रीठागाड़ दगडिय़ो संघर्ष समिति का कहना है कि यदि अब भी उनकी मांग को अनसुना किया गया तो समिति फिर से आंदोलन के लिए बाध्य हो जाएगी। नौगांव में महाविद्यालय बनाने के लिए केन्द्रीय मंत्री स्वर्गीय श्री बचे सिंह रावत ने भी मांग की थी।
रीठागाड क्षेत्र में कालेज खुलने से रीठागाड़ ही नहीं बल्कि बागेश्वर व पिथौरागढ़ के सिमांत क्षेत्रों के गऱीब परिवार के बच्चों को इसका फायदा मिलेगा जिससे वे अपनी आगे की पढ़ाई सुचारू रख सकेंगे। क्षेत्र में महाविद्यालय नहीं होने से बीपीएल परिवारों के लिए ऐसे कई छात्र-छात्र शिक्षा से वंचित रह जाते हैं, जो आगे की पढ़ाई के लिए खर्चा उठाने में असमर्थ होते हैं। ऐसे बच्चों को 10वी, 12 वीं के बाद अपनी आगे की पढ़ाई मजबूरन छोडऩी पड़ती है। क्योंं उनके पास अल्मोड़ा, बेरीनाग या पिथौरागढ़ में जाकर वहां किराए में रहकर खर्चा उठा पाने की सामथ्र्य नहीं होती।

