Report ring Desk
नई दिल्ली। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी ने संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार तथा प्रोत्साहन हेतु ऑनलाइन आवेदन भरने की अनेक योजनाओं की शुरुआत करते हुए कहा कि इसके अन्तर्गत संस्कृत की पारंपरिक तथा आधुनिक पढ़ाई तथा इनसे जुड़ी गतिविधियां, पुस्तक थोक क्रय और संस्कृत प्रकाशन, मेधावी छात्रवृति, लब्धप्रतिष्ठ विद्वानों के लिए शास्त्र चूड़ामणि, संस्कृत के शोधोन्मुखी अष्टादशी परियोजना और पारंपरिक संस्कृत छात्र-छात्राओं के लिए व्यवसायिक प्रशिक्षण तथा अभाव ग्रस्त संस्कृत विद्वानों के लिए सम्मान राशि जैसे 8 परियोजनाओं को पूरी तरह से ऑनलाइन भरने की पहली बार इसलिए शुरुआत की गयी है। इसका समुचित लाभ संस्कृत अनुरागियों के अन्त्योदय समाज तक समय पर तथा पूरी पारदर्शिता के साथ शीघ्रता से पहुंच सके। साथ ही साथ संस्कृत के सबका साथ सबका विकास की भावना को चरितार्थ किया जा सके।
प्रो वरखेड़ी ने यह भी कहा कि सीएसयू जो भारत सरकार के संस्कृत उन्नयन के लिए मात्र नोडल निकाय है जो भारत सरकार के निर्देशन में संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए प्रतिनिधि के रूप में काम करती है। लेकिन इसके लिए यह आवश्यक है कि ऐसी योजनाओं का प्रभावी ढंग से तभी लागू किया जा सकता है, जब समाज, संस्था तथा सरकार तीनों मिलकर समन्वित ढंग से कार्य करें। इसके लिए पीपी मॉडल अर्थात पब्लिक-प्राईवेट पार्टीसेपेशन अच्छा पहल हो सकता है। इससे संस्कृत भाषा तथा इसमें निहित ज्ञान परंपरा को लोक आयाम और अधिक मिलेगा।
उन्होंने कहा कि अमृत महोत्सव के इस महत्त्वपूर्ण वर्ष में भारतीय विद्या का उत्कर्ष संस्कृत के माध्यम से होना अधिक फलदायी हो सकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को इसके प्रारुप मार्गदर्शन तथा इन योजनाओं की राशि वृद्धि के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। साथ ही भारत सरकार के भाषा प्रमुख पद्मश्री चमू कृष्ण शास्त्री द्वारा इन योजनाओं के लिए अन्य महत्त्वपूर्ण सुझावों के लिए उनका भी धन्यवाद किया।