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पूरी रात बारिश में भीगते हुए 6 घंटे में डोली के सहारे गर्भवती पहुंची अस्पताल

17 किलोमीटर जंगल का रास्ता ऊपर से बारिश, गांव के लोगों ने बचाई जान

Report ring Desk

अल्मोड़ा। उत्तराखण्ड राज्य बने हुए 22 साल होने जा रहे हैं, लेकिन जिस मकसद से अलग राज्य की लड़ाई लड़ी गई थी और राज्य की स्थापना की गई थी। वह मकसद और सपना आज भी अधूरा ही रह गया है। पहाड़ के लोगों की वह पीड़ा और कठिनाइयां आज भी जस की तस बनी हुई हैं। समय-समय पर ऐसी दर्द भरी खबरें हम पढ़ते रहते हैं लेकिन सरकार की नींद है कि टूटती ही नहीं। ऐसा ही एक भयानक दर्द भरा वाकया सामने आया है विकासखण्ड धौलाछीना के नायल गांव का। जहां एक गर्भवती महिला को रात 11 बजे प्रसव पीड़ा उठने लगी। लेकिन साधन विहीन नायल गांव की इस महिला को असहनीय दर्द को झेलते हुए रात को बारिश में भीगते हुए 17 किलोमीटर का सफर डोली से तय करना पड़ा। गांव के लोगों ने जैसे-तैसे महिला को सुबह साढ़े पांच बजे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पनुवानौला पहुंचाया और दो घंटे बाद इस गर्भवती महिला ने स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। गनीमत यह रही कि महिला और बच्ची दोनों स्वस्थ हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार अल्मोड़ा जिला के विकासखंड भैसियाछाना की ग्राम सभा थिकलना के नायल गांव के नीरज जोशी की गर्भवती पत्नी लीला जोशी को मंगलवार रात 11बजे प्रसव पीड़ा उठी। रात का समय, ऊपर से काले बादलों की गर्जन और तेज बारिश। गांव तक सड़क मार्ग की कमी की वजह से लीला जोशी पर मानो मुसीबत का पहाड़ टूट गया। लेकिन लीला जोशी ने हिम्मत नहीं हारी। गांव के ही दो-चार लोगों को बुलाकर डोली का इंतजाम किया गया और बारिश और अंधेरी रात में 17 किलोमीटर के जंगल का रास्ता 6 घंटे में तय किया। जैसे तैसे सुबह साढ़े पांच बजे गांव के ये लोग गर्भवती महिला को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पनुवानौला पहुंचाने में सफल रहे और वहां दो घंटे बाद साढ़े 7 बजे महिला ने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया तब जाकर लोगों की जान में जान आई।

ऐसा नहीं है कि गांव के नजदीक तक सड़क न बनी हो। सड़क तो बनी है लेकिन सड़क पक्ïकी न होने और जगह-जगह पर गड््ढे होने के कारण वाहन चालकों ने इस सड़क पर रात को वाहन चलाने से मना कर दिया।

मालूम हो कि क्षेत्र के लोगों द्वारा सड़क निर्माण में घटिया सामग्री और सड़क पक्ïकी न होने की वजह से आ रही दिक्ïकतों को कई बार उठाया है। लेकिन अभी तक इस क्षेत्र के कई गांवों को सड़क का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

रीठागाडी दगडिय़ों संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्रताप सिंह नेगी ने बताया कि त्रिनैली-मंगलता मोटर मार्ग की समस्याओं को समिति कई बार उठा चुकी है और अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है लेकिन शासन-प्रशासन द्वारा हमारी मांगों को अनदेखा किया जा रहा है। उनका कहना है कि आज गांव तक पक्ïकी सड़क बनी होती तो गर्र्भवती लीला जोशी को पूरी रात डोली में बैठाकर अस्पताल ले जाने के नौबत नहीं आती।

पक्की सड़क न होने से हुई मुसीबत: लीला जोशी

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पनुवानौला में एक स्वस्थ बच्ची को जन्म देकर वापस घर लौटी प्रियंका ने बताया कि मंगलवार रात 11 बजे उसे प्रसव पीड़ा उठी, आसमान में काले बादल गरज रहे थे और बारिश हो रही थी। सड़क की खस्ता हालत की वजह से कोई भी वाहन चालक इस खतरनाक सड़क में रात को वाहन चलाने के लिए राजी नहीं था। यदि गांव तक पक्की सड़क हो गई होती तो आज उसके साथ ऐसी मुसीबत नहीं आती। भला हो गांव के इन लोगों का, जिन्होंने मुझे पूरी रात बारिश में भीगते हुए अस्पताल तक पहुंचाया और आज इन लोगों की कृपा से हम दोनों जच्चा बच्चा स्वस्थ हैं।

7 महीने पहले प्रियंका ने भी जंगल में बच्चे को दिया जन्म

रीठागाडी दगडिय़ों संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्रताप सिंह नेगी ने बताया कि 7 माह पूर्व भी इसी विकासखंड के पतलचौरा गांव के राजू बाणी की पत्ïनी प्रियंका को भी प्रसव पीड़ा हुई तो लोग उसे भी डोली में बिठाकर अस्पताल ले जाने लगे, जहां रास्ते में ही प्रियंका ने बच्चे को जन्म दिया। ईश्वर की कृृपा रही कि जच्चा बच्चा दोनों ठीक ठाक हैं।

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