Report ring Desk
नई दिल्ली। पूर्व उच्चतर शिक्षा मंत्री एवं सांसद सांसद डा रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने शिक्षक पर्व में कहा कि पूरा विश्व आज संस्कृत की ओर देख रहा है और कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी के कंधों पर इसका उत्तरदायित्व है कि संस्कृत को अपने विश्वविद्यालय के माध्यम से पूरी दुनिया में प्रतिष्ठित करें। निशंक ने कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि इस विश्वविद्यालय को प्रो वरखेड़ी जैसे मणि के रुप में यशस्वी कुलपति मिला हैं। उन्होंने कहा कि नेप-2020 जितना पुरातन है उतना ही अद्यतन भी है । इसमें एबीसी अर्थात एकेडमिक बैंक क्रेडिट के माध्यम से छात्र-छात्राओं के लिए अवसर खुलें हैं। वे अपने क्रेडिट को लेकर सर्टिफिकेट डिप्लोमा या डिग्री पाठ्यक्रम में पढ़ सकते हैं। सीएसयू दिल्ली के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी की अध्यक्षता में शिक्षक पर्व में व्याख्यानों का आयोजन किया गया जिसमें देश के अलग-अलग प्रान्तों के विश्वविद्यालयों, आदर्श महाविद्यालयों के अधिकारियों, संकाय सदस्यों तथा छात्र- छात्राओं ने भी भाग लिया।
इस अवसर पर निशंक ने कहा कि भारतीय संस्कृति के अमूल्य धरोहर को इन्डोनेशिया जैसे मुस्लिम बाहुल्य देशों में भी देखा जा सकता है जहां पवनपुत्र हनुमान, पुरुषोत्तम राम, श्रीकृष्ण तथा विष्णु की मूर्तियां विराजमान हैं। भारतवासी वहां से भी रामलीला का मंचन सीख सकतें हैं। इन्डोनेशिया के लोगों का मानना है कि इस देश में इस्लाम सत्ता तो है, लेकिन संस्कृति तो पुरुषोत्तम राम का ही है। उन्होंने कहा कि वहां पर घटोत्कच का जीवंत मंचन देख कर वे आश्चर्यचकित रह गये थे।
निशंक ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में चल रहे स्किल इंडिया तथा स्टार्ट अप इंडिया की भी प्रशंसा की और कहा कि इनके सफल नेतृत्व के कारण विदेश में रह रहे भारतीयों का भी आत्मविश्वास तथा आत्मसम्मान बढ़ा है। रुस तथा उक्रेन युद्ध के दौरान देखा गया कि सिर्फ़ भारतीय ही तिरंगों को अपने हाथों में लेकर बिना कोई रोक टोक स्वदेश आ सके।
इस अवसर पर डा वीरेन्द्र सिंह बत् र्वाल की रचना ‘फागुणी’ तथा डा विशनदत्त जोशी की पुस्तक ‘पूर्वराग संरक्षण. प्रकत्पन राग’ का विमोचन भी किया गया। फागुणी पहाड़ के परिवेश, पलायन तथा गरीबी की मार्मिक प्रस्तुति है। डा जोशी की किताब पारंपरिक भारतीय रागों की विशेषता पर प्रकाश डालती है।
निशंक ने कोरोना काल को याद करते हुए कहा कि हमारे शिक्षकों ने इस वैश्विक संकट में भी पढ़ा कर विद्यार्थियों के सत्रों को पीछे नहीं होने दिया।
कार्यक्रम के अध्यक्षीय भाषण में कुलपति प्रो वरखेड़ी ने पूर्व शिक्षा मंत्री निशंक के केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय दिल्ली में आगमन के लिए आभार व्यक्त करते हुए उनके शैक्षणिक योगदानों तथा ओजस्वी रचनाधर्मिता पर प्रकाश डालते यह यह बताया कि हम लोगों को इस बात से प्रेरणा लेनी चाहिए कि मंत्री जी ने सौ से अधिक उत्कृष्ट पुस्तकों को इतना व्यस्त रहते हुए भी कैसे लिखा है यह तथ्य शिक्षक समाज के लिए सर्वदा प्रेरणादायी है। प्रो वरखेड़ी ने नेप-2020 के प्रारुप निर्माणकर्ताओं में एक महत्तवपूर्ण कड़ी माना और कहा कि उनके जैसे लब्धप्रतिष्ठ कवि तथा राजनीति के इस विश्वविद्यालय में शिक्षक पर्व पर पधारने से सभी शिक्षकों, अधिकारियों तथा कर्मचारियों का आत्म सम्मान बढ़ा है।
मंच का संचालन करते हुए डा मधुकेश्वर भट्ट ने निशंक की रचनाओं को बीच बीच में सस्वर पाठ कर सभागार में चार चांद लगा दिए।