दिवाली की तरह इस बार कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की एकादशी यानी देवउठनी एकादशी की तारीख को लेकर भी असमंजस की स्थिति बनी है। कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। हिंदू धर्म में यह तिथि अत्यंत पवित्र और शुभ मानी जाती है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु चार माह की योगनिद्रा से जागृत होते हैं। विष्णु भगवान के जागरण के साथ ही चातुर्मास का समापन हो जाता है। इसके पश्चात विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं।
देवउठनी को देव प्रबोधिनी एकादशी, देवोत्थान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत का पालन करते हैं। इस वर्ष एकादशी तिथि दो दिन पडऩे की वजह से व्रत की सही तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति बनी।
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 1 नवम्बर को सुबह 9 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगी जो 2 नवम्बर को शाम 7 बजकर 32 मिनट तक रहेगी। ऐसे में गृहस्थ लोग पंचांग के अनुसार और वैष्णव परम्परा के साधक व्रत का पारण हरिवासर करते हैं। एक नवम्बर को व्रत रखने वाले जातक 2 नवम्बर को व्रत का पारण करेंगे। इस दिन दोपहर एक बजकर 11 मिनट से 3 बजकर 23 मिनट तक पारण करना शुभ है।
 
 
 
 
								 
								





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