एसडीएम के हस्तक्षेप पर की गई कोरोना जांच
नागरिक चिकित्सालय के कर्मचारियों की लापरवाही से लोगों में रोष
By Naveen JOshi
खटीमा। क्षेत्र के एकमात्र नागरिक चिकित्सालय में अधिकारियों और कर्मचारियों की बहुत बड़ी लापरवाही सामने आई है। उन्होंने कोरोना जांच कराने लाई गई एक गर्भवती महिला को तीन घंटे तक अस्पताल में ही दौड़ाया। बाद में एसडीएम के हस्तक्षेप पर महिला की कोरोना जांच की गई।
शिव काॅलोनी निवासी नंदनी नौ माह की गर्भवती है। उसका पहले नागरिक चिकित्सालय में इलाज चल रहा था। प्रसव कराने के लिए महिला को रुद्रपुर भेजने की बात कहने पर परिजन नंदनी को पीलीभीत रोड स्थित एक निजी अस्पताल ले गए, जहां प्रसव से पहले डाॅक्टर ने कोरोना की जांच कराने को कहा। इस पर महिला के पड़ोस में रहने वाली दो महिलाएं उसे लेकर नागरिक चिकित्सालय पहुंचीं, जहां गर्भवती महिला की जांच कराने के बजाए उसे कभी ऊपर तो कभी नीचे दौड़ाया।
दर्द से कराह रही गर्भवती महिला की पुकार अस्पताल में किसी ने नहीं सुनी और उसे दरकिनार कर चलते बने। यहां तक कि सीएमएस सुषमा नेगी ने भी इस मामले को काफी हल्के में लिया। इसके बाद गर्भवती महिला के किसी परिचित ने मामले की जानकारी एसडीएम निर्मला बिष्ट को दी। इस पर एसडीएम तत्काल नागरिक चिकित्सालय पहुंचीं और उन्होंने मामले में हस्तक्षेप कर गर्भवती महिला की कोरोना जांच कराई। एसडीएम के आने की सूचना मिलते ही सीएमएस भी अपने केबिन से निकलकर मौके पर पहुंची और महिला की कोरोना जांच कराने के निर्देश दिए। एसडीएम की पूछताछ में साथ आई महिलाओं ने बताया कि उन्हें करीब तीन घंटे तक अस्पताल में इधर-उधर दौड़ाया गया। इस बाबत पूछताछ करने पर अस्पताल की सीएमएस सुषमा नेगी ने बताया कि गर्भवती महिला की कोरोना जांच करा दी है।
वहीं, नागरिक चिकित्सालय में अधिकारियों और कर्मचारियों की इस कदर लापरवाही पर लोगों ने जबर्दस्त रोष जताया। कहा कि क्षेत्र के एकमात्र सरकारी अस्पताल में इस तरह की लापरवाही गरीब जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ है। लिहाजा मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।