नई दिल्ली। इसाईयों के सबसे बड़े धर्म गुरु पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वेटिकन ने सोमवार को बयान जारी कर कहा कि वह रोमन कैथोलिक चर्च से पहले समय लैटिन धर्मगुरु थे। उनके दोनों फेफड़ों में निमोनिया था। जिसकी वजह से उनकी हालत गंभीर हुई थी। उनका जन्म अर्जेटीना में हुआ था। उनका नाम जार्ज मारियो बेर्गोलिये था। यह पहला मौका था जब किसी गैर यूरोपीय को पोप बनाया गया था।
पोप फ्रांसिस को उनकी सादगी के लिए जाना जाता है। वह व्यक्तिगत रूप से गरीबो और हाशिए पर रहने वाले लोगों से मिलते थे। उन्होंने गरीबी, असामनता और आप्रवासियों के अधिकारो पर जोर दिया था। उन्होंने कैथोलिक चर्च मं वित्तीय पारदर्शिता पर जोर दिया था।

