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2018 से अब तक विदेशों में 403 भारतीय छात्रों की मौत

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बड़ी संख्या में भारतीय छात्र अध्ययन के लिए विदेशों का रुख करते हैं। वहां पढ़ाई करने और रहने के दौरान कुछ छात्रों की मृत्यु भी हो जाती है। सरकारी आंकड़ों की मानें तो साल 2018 से अब तक विदेशों में पढ़ रहे 403 भारतीय छात्रों की मौत हुई है। इन छात्रों की मौत विभिन्न वजहों से हुई, जिनमें प्राकृतिक कारण, स्वास्थ्य संबंधी परेशानी और दुर्घटनाओं आदि को जिम्मेदार ठहराया गया है। हाल में संसद के पटल पर इस बारे में आकड़े पेश किए गए। जो कि विदेश मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए थे।
यहां बता दें कि जिस देश में सबसे अधिक भारतीय छात्रों का निधन हुआ, वह कनाडा है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 से अभी तक वहां 91 छात्रों की मौत हो चुकी है। जबकि इसके बाद रूस, ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया आदि का नंबर आता है। विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक साल 2022 में विदेशों में पढ़ाई कर रहे छात्रों की संख्या 13 लाख 40 हज़ार थी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हालांकि कनाडा में सबसे अधिक छात्रों की मौत हुई है। लेकिन वहां पढ़ने वाले छात्र भी तुलनात्मक रूप से सबसे ज्यादा हैं। ऐसे में इस संख्या को उस देश में भारतीय छात्रों की कुल संख्या के संदर्भ में देखा जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि, उन्हें यह नहीं पता कि क्या यह एक ऐसा मुद्दा है, जिसे सरकार के समक्ष उठाया जाना चाहिए। ऐसे में कुछ घटनाएं व्यक्तिगत तौर पर हुई हैं, जहां कुछ गड़बड़ी हुई है। ऐसे में उक्त देश में मौजूद वाणिज्य दूतावास उन परिवारों को मदद पहुंचाते हैं। इसके साथ ही ऐसे मामलों को स्थानीय अधिकारियों के सामने भी उठाया जाता है कि क्या उक्त मामले में कोई जांच या कार्रवाई हो रही है या नहीं। बागची ने कनाडा में बड़ी संख्या में छात्रों की मौत के सवाल के जवाब में कहा कि, मैं इस पर कोई जनरलाइज्ड टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा।
उधर चार सालों में यूक्रेन में लगभग 20 छात्रों की मौत हो चुकी है। गौरतलब है कि फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस का आक्रमण शुरू होने के बाद हज़ारों भारतीय छात्रों को वहां से सुरक्षित निकाला गया था।
उधर विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने संसद में एक सवाल के लिखित उत्तर में कहा कि, हमारे मिशन और पोस्ट सतर्क रहते हैं और छात्रों के वेलफेयर को लेकर बारीक नजर बनाए रखते हैं। किसी अप्रिय घटना की स्थिति में मामलों को तुरंत संबंधित देश के अधिकारियों के समक्ष उठाया जाता है। ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि घटना की उचित जांच हो और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई हो।

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