Uttarakhand DIPR
UK2

गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी को मिले उचित स्थान- विनोद बछेती

– उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच ने किया 150 शिक्षकों को सम्मानित,  लोक भाषाएं हमारी सभ्यता, संस्कारों और परंपराओं की रक्षक

पत्रिका ब्यूरो नई दिल्ली। उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच दिल्ली की ओर से उत्तराखंड की भाषाओं के 150 शिक्षकों को सम्मानित किया गया। शनिवार को यहां दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित सम्मान समारोह में दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे। उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच वर्ष 2012 से उत्तराखण्ड की लोक भाषाओं को बचाने के लिए अभियान चला रहा है। इसी के तहत हर वर्ष दिल्ली-एनसीआर में गढ़वाली, कुमाऊनी और जौनसारी भाषा की मुफ्त कक्षाएं चलाई जाती हैं। इस साल भी दिल्ली-एनसीआर में 41 जगहों पर कक्षाएं चलाई गई थी इन कक्षाओं में पढ़ाने वाले 150 शिक्षकों को उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच की ओर से सम्मानित किया गया।

सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि भाषा का जीवन में अहम स्थान है। आप लोग अपनी बोली-भाषा को आगे बढ़ाने के जिस तरह प्रयासरत हैं वह काबिले तारीफ है।

उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच के संरक्षक और दिल्ली भाजपा के प्रदेश मंत्री विनोद बछेती ने कहा कि हमारी लोक भाषाएं सिर्फ संप्रेषण का माध्यम नहीं होतीं, बल्कि ये हमारी सभ्यता, संस्कारों और परंपराओं की रक्षक भी होती हैं। यही वजह है कि उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच वर्ष 2012 से ही राज्य की लोक भाषाओं को बचाने के लिए अभियान चला रहा है। इसी के तहत हर वर्ष दिल्ली- एनसीआर में गढ़वाली, कुमाऊनी और जौनसारी भाषाओं की मुफ्त कक्षाएं चलाई जाती हैं। उन्होंने कहा कि गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी को उचित स्थान मिलना चाहिए।

सम्मान समारोह में उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच के संयोजक दिनेश ध्यानी, कोआर्डिनेटर दयाल सिंह नेगी, दिनेश ध्यानी, रमेश कांडपाल समेत कई गणमान्यजन उपस्थित रहे। सम्मान समारोह का आयोजन उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच, उत्तराखंड एकता मंच और भुयाल मंच की ओर से किया गया था।

140820240458 1
Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top