By sanjay pandey
नैनीताल। भवाली -अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग पर खैरना के पास स्थित फ्राॅग प्वाइंट पर्यटकों को खूब भाता है। फ्राॅग यानी मेंढक के आकार का पत्थर पसंदीदा फोटो सूट प्वाइंट बन गया है। इस मार्ग से आते जाते यहां मौज मस्ती करते लोगों को देखा जा सकता है।पर्यटक मेंढक के साथ फोटो खिंचाते हैं।
यह मेंढक पर्यटकों के साथ फेसबुक व सोशल मीडिया में भी घूमता है। देश में दुनिया में कमेंट भी बटोरता है। लोगों के मेंढक के प्रति आकर्षक को देख पास में ही एक रिजार्ट भी खुल गया है।

खैरना व गरमपानी के पास यह पत्थर शिप्रा नदी में है। पत्थर के मेंढक में सैलानी फोटो लेना नहीं भूलते है। इस पत्थर को पर्यटन स्थल के रूप में पहचान दिलाने का श्रेय नैनीताल निवासी रोहित साह को जाता है।
पिछले वर्ष यहां 35000 हजार से ज्यादा टूरिस्ट पहुंचे थे। लाॅकडाउन में यह स्थल सूना रहा। अनलाॅक के बाद यहां सैलानी पहुंचने लगे हैं। रोजाना सैकड़ों लोग इस मेंढक पत्थर को देखने यहां पहुच रहे हैं। बताया जाता है कि पिछले दो महीनों 12000 हजार से अधिक ट्यूरिस्ट यहां पहुंच चुके हैं।
ऐसे अस्तित्व में आया मेंढक पत्थर
मेंढक पत्थर 26 साल पहले अस्तिव में आया था। पहले यह पत्थर नदी की रेत में दबा हुआ था। 1993 में आयी भंयकर बाढ़ में रेत बहने से यह पहली बार नजर में आया था। तब प्रकृति के इस अनोखे करिशमे को देखने के लिए लोगों की भीड़ जुट गयी थी।
साधु से जुड़ी पौराणिक कथा
इस पत्थर का संबंध पौराणिक कथाओं से लोग जोड़कर देखते हैं। कथा के अनुसार इस पत्थर को एक साधु माना जाता था। एक बार नदी में भयंकर बाढ़ आने से एक साधु एक देवी माता को बहने से बचाने के लिए नदी में कूद गए। खुद बहते हुए यहाॅ रुक गए। जिसके बाद उन्होंने यही समाधि ले ली माना जाता है कि यह पत्थर ही वह साधु है।

