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मंजूरी मिलने के बावजूद पतलचौरा के लिए नहीं बनी सडक़, पैदल सामान ढोने को मजबूर हैं लोग

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अल्मोड़ा। भैसियाछाना ब्लॉक की कनारीछीना-बिनूक-पतलचौरा के लिए 6 साल पूर्व मंजूर की गई सडक़ अभी तक नहीं बन पाई है। सडक़ नहीं बन पाने की वजह से यहां के लोग परेशान हैं। सडक़ नहीं पानी की वजह से यहां के लोग आए दिन बीमार, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं को डोली या पीठ में बिठाकर मुख्य मार्ग तक पहुंचाने के लिए मजबूर हैं। इससे यहां के लोगों को बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

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यहां के स्थानीय निवासी बालम सिंह बाणी ने बताया कि वर्ष 2020 में तत्कालीन बिधायक रघुनाथ सिंह चौहान के प्रयास से कनारीछीना-बिनूक-पतलचौरा सडक़ मार्ग को मंजूरी मिली थी। सडक़ की सर्वे, अर्थ टेस्टिंग और वन बिभाग की की ओर से एनओसी मिलने के बावजूद कनारीछीना-बिनूक पतलचौरा5 किमी की सडक़ नहीं बन पा रही है। सडक़ नहीं होने के कारण यहां के लोगों को आए दिन बीमार लोगों, बुजुर्गो और गर्भवती महिलाओं को मुख्य सडक़ मार्ग तक ले जाने के लिए डोली में बिठाकर ले जाना पड़ता है और खच्ïचरों से सामान ढोना पड़ता है। गांव अनुसूचित जाति बहुल होने के बावजूद भी सडक़ नहीं बन पाई है और सरकार दावे करती है कि हम अनुसूचित जाति के लोगों के लिए हर सुविधा मुहिया करा रहे। लेकिन हकीकत तो यह है कि उत्तराखण्ड राज्य बने 25 साल बीतने के बावजूद पतलचौरा के लोग पैदल सामान ढोनल को मजबूर हैं।

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